धार्मिक

टूटी सदियों पुरानी परंपरा, आधी रात को खुले द्वारकाधीश धाम के कपाट, जानिए वजह

डेस्क: हिंदू धर्म के लोगों के मन द्वारकाधीश धाम का अहम स्थान है। गुजरात के द्वारका में स्थित यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध चार धामों में से एक है। यहां श्रद्धालु द्वारका के राजा श्री कृष्ण अर्थात् “द्वारकाधीश” के दर्शन के लिए जाते हैं। पुरातत्विक विशेषज्ञ बताते हैं कि द्वारका में स्थित यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना है। हालांकि 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर का विस्तार किया गया।

गोमती नदी के तट पर स्थित इस शहर को श्री कृष्ण की राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर के ऊपर स्थित ध्वज यह दर्शाता है कि जब तक सूरज और चांद रहेगा तब तक श्री कृष्ण रहेंगे। इस मंदिर में उत्तर और दक्षिण दिशा में दो प्रवेश द्वार हैं। उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार को “मोक्ष द्वार” तथा दक्षिण दिशा के प्रवेश द्वार को “स्वर्ग द्वार” कहा जाता है।

Dwarkadhish temple opened at midnight for the first time for 25 cows

 

यह द्वार सुबह 6:00 बजे से दोपहर के 1:00 बजे तक तथा शाम 5:00 बजे से रात के 9:30 बजे तक ही खुला रहता है। ऐसा कहा जाता है कि जब से यह मंदिर बनी है, तब से लेकर अब तक कभी भी रात में इस के कपाट नहीं खोले गए थे। लेकिन बीते दिनों कुछ ऐसा हुआ जिस वजह से सदियों से चली आ रही मंदिर की परंपरा को तोड़कर आधी रात को द्वारकाधीश धाम के कपाट को खोल दिया गया।

गायों के लिए तोड़ी गई सदियों पुरानी परंपरा

दरअसल यह घटना पिछले कुछ समय से गायों में फैल रहे लंपी नाम की बीमारी से जुड़ा हुआ है। साथ ही इसका संबंध एक व्यक्ति के भगवान द्वारकाधीश पर गहरी आस्था से भी है। उसकी आस्था के कारण ही आधी रात के समय द्वारकाधीश धाम के कपाट को खोलना पड़ा। ज्ञात हो कि आज तक यह परंपरा किसी भी इंसान के लिए नहीं बदली गई। बल्कि मंदिर के कपाट महादेव देसाई नाम के व्यक्ति के गायों के लिए खोले गए।

दरअसल महादेव देसाई के गायों को भी लंबी वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिस वजह से उसके गायों की हालत काफी खराब हो गई। अपने गायों की ऐसी स्थिति को देख महादेव देसाई ने भगवान द्वारकाधीश का ध्यान कर मन में यह निश्चय किया कि यदि उनकी गाएं ठीक हो गई तो वह उनके साथ ही द्वारकाधीश के दर्शन के लिए जाएंगे। भगवान के चमत्कार से कुछ ही दिनों में उनकी 25 गाएं ठीक हो गईं।

महादेव ने गायों के साथ पैदल तय किए 490 कि.मी.

इसके 2 महीने बाद महादेव देसाई अपने गायों के साथ 490 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर द्वारका पहुंचे। लेकिन अपने गायों के साथ भगवान के दर्शन के लिए मंदिर प्रशासन से उन्हें अनुमति नहीं मिली। आखिरकार उनकी भक्ति के आगे मंदिर प्रशासन को भी झुकना पड़ा और उन्हें गायों दर्शन करने की इजाजत दे दी गई। दिन के समय मंदिर में गायों की उपस्थिति के कारण अन्य श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो इस वजह से मंदिर प्रशासन ने गायों के लिए आधी रात को मंदिर के कपाट को खोलने का फैसला लिया।

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब गायों के लिए द्वारका धाम की परंपरा को बदला गया और आधी रात को मंदिर के कपाट खोल दिए गए। प्रशासन ने ना केवल मंदिर के कपाट खुलवाएं बल्कि महादेव देसाई और उनके गायों को द्वारकाधीश के दर्शन भी करवाए और मंदिर की परिक्रमा भी करवाई। साथ ही प्रशासन ने मंदिर परिसर में गायों के चारे की भी सम्पूर्ण व्यवस्था करवाई। गौरतलब है कि महादेव देसाई की भगवान द्वारकाधीश के प्रति गहरी आस्था को देखते हुए उनके गायों के लिए मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़कर आधी रात को मंदिर के कपाट खोल दिए गए।

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