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आज चंद्रग्रहण, कब लगेगा, कहां दिखेगा, क्या प्रभाव पड़ेगा ? पूरा विवरण

डेस्क: पांच जून को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा. इस ग्रहण को उपछाया चंद्र गहण बताया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि धर्म-कर्म के हिसाब से हमारे पूजा-पाठ पर इसका प्रभाव नहीं पड़नेवाला. यूं कहे कि धार्मिक हिसाब से इसे मान्यता नहीं है.

कब दिखेगा चंद्रग्रहण

यह ग्रहण भारत में शुक्रवार की रात में 11 बज कर 11 मिनट से लगना शुरू होगा, जो रात में दो बज कर 34 मिनट पर खत्म हो जायेगा.

कैसा दिखेगा चंद्रगहण

आपको यह बताना जरूरी है कि इस चंद्र ग्रहण का स्वरूप अन्य चंद्रगहणों से अलग होगा. हालांकि इसका अंतर समझ पाना आम नजरों से आसान नहीं हो पायेगा. जानकारी के अनुसार, भारत में जो दिखाई देगा, उसमें इस ग्रहण से चांद के आकार में कोई अंतर नहीं आयेगा. हां चांद की चमक पर हल्का असर पड़ेगा. वह थोड़ा मलिन हो जायेगा. मतलब ग्रहण के दौरान चांद पूरी तरह चमकदार सफेद रंग का न होकर मटमैला दिखाी देखा. इसे खुली आंखों से देखा जा सकेगा. पिछले 10 जनवरी को जो चंद्रगहण लगा था, वह भी इसी तरह का था.

कहां-कहां दिखेगा चंद्रगहण

यह चंद्रगणह तीन महाद्वीपों पर मुख्य रूप से दिखेगा. उनमें एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका हैं. हमारे देश में भी यह ऊपर बताये समय पर दिखेगा. इसकी पूरी प्रक्रिया तीन घंटे की होगी.

क्या प्रभाव पड़ेगा

उपछाया चंद्र ग्रहण का प्रभाव हिंदू धर्म के अनुसार धार्मिक क्रियाकलापों पर नहीं पड़ता है. इससे किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होनेवाली. मंदिरों की पूजा-पाठ पर भी इसका कोई असर नहीं होगा. कहीं भी कोई धार्मिक कार्य रोका नहीं जायेगा. वहीं वैज्ञानिक रूप से भी इसका असर हम पृथ्वीवासियों पर नहीं पड़नेवाला. यह सिर्फ एक हल्की सी छाया होगी.

आखिर क्या है उपछाया चंद्र ग्रहण

पाठकों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर उपछाया चंद्रगहण क्या है. आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर इसे उपछाया चंद्रग्रहण क्यों कहा जा रहा है. दरअसल, इस चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले ही चांद पृथ्वी की उपछाया (आंशिक छाया) में प्रवेश करता है. इसके बाद जब चांद पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में न आकर इस चंद्रगहण के दौरान उसकी छाया से बाहर निकल आता है. इसीलिए चांद के आकार व चमक पर बहुत ज्यादा इस ग्रहण के दौरान असर नहीं पड़ता है, क्योंकि पूर्ण चंद्रगहण में ऐसा नहीं होता है. इसमें चांद पर पृथ्वी की पूरी छाया पड़ती है, जिसमें चांद पूरा काला पड़ जाता है.

Chandra grahan

अब ये भी जान लीजिये कि चंद्रग्रहण केसे होता है
हम अपने पाठकों को अधूरी या गलत जानकारी नहीं देना चाहते. इसीलिए आपको यह भी बताना उचित समझते हैं कि चंद्रगहण कैसे लगता है. दरअसल, जब सूरज और चांद के बीच धरती आ जाती है तो चांद पर धरती की छाया पड़ती है और चांद इससे ढंक जाता है या चांद पर यह छाया काले रंग में दिखायी देती है. कभी यह छाया पूरी होती तो कभी आधी-अधूरी. चंद्रग्रहण अक्सर पूर्णिमा के दिन ही होता है, जब चांद अपने पूरे आकार में चांदनी बिखेरता रहता है.

वैज्ञानिक भाषा में जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है. चंद्र ग्रहण एक खगोलीय परिस्थिति है. इस दौरान पृथ्वी सूर्य की किरणों को रोक लेती है और चद्रमा इससे वंचित रह जाता है. जब पृथ्वी की सूर्य की किरणों को पूरी तरह रोक लेती है और उसकी पूरी छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो वह पूर्ण चंद्रग्रहण कहलाता है वहीं यह छाया आंशिक तौर पर पड़ती है तो आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है.

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