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इस बिजनेस आइडिया से 3 दोस्त बन गए मालामाल, गाँव के लोगों को भी दिया रोजगार

डेस्क: आमतौर पर MBA करने के बाद लोग मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करना चाहते हैं। शुरुआत में बिहार के वैशाली जिला के रहने वाले तीन दोस्तों जगत कल्याण, नीतीश कुमार और सत्यम कुमार ने भी यही सपना देखा था। जयपुर के एक मैनेजमेंट कॉलेज से MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनों दोस्तों को एक कंपनी में काम करने का मौका मिला। लेकिन काम में तीनों का मन ज्यादा दिन तक नहीं लग सका।

आखिरकार तीनों दोस्त एक बिजनेस के आइडिया के साथ अपने गांव वापस आ गए। तीनों दोस्तों ने गांव में ही खेती-बाड़ी से जुड़ा व्यवसाय शुरू किया। जगत कल्याण और सत्यम कुमार का कहना है कि बचपन से ही यह तीनों दोस्त गांव में रहकर कुछ करना चाहते थे। लेकिन अच्छी शिक्षा के लिए उन्हें शहरों की ओर पलायन करना पड़ा। फिर भी गांव में अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के अपने सपने को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।

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34 हजार की सैलरी छोड़कर शुरू किया बिजनेस

बीटेक की पढ़ाई करने के बाद तीनों दोस्तों ने एमबीए की और एक कंपनी में 34 हजार की सैलरी पर नौकरी करने लगे। 6 महीने तक नौकरी करने के बाद तीनों गांव लौट गए और वैशाली जिले के केवीके से रेशा और खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया। फिर तीनों ने 2022 में ही केले के थम का उपयोग करके रेशा और वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का बिजनेस शुरू किया।

सत्यम कुमार के अनुसार नौकरी करते रहने पर आज उनकी सालाना पैकेज 8 से 9 लाख की होती है लेकिन उनका जीवन उसी नौकरी में सिमट कर रह जाता। नया बिजनेस शुरू करने के कारण समाज में जो उनकी अलग पहचान बनी है वह नौकरी से संभव था। वह के केले के एक पेड़ से 500 ग्राम रेशा निकालते हैं। बनाना फाइबर एक्सट्रैक्शन मशीन की मदद प्रतिदिन 60 से 70 किलो रेशा तैयार किया जाता है।

गांव के लोगों को दिया रोजगार

अलग-अलग क्वालिटी के रिश्तो की कीमत अलग-अलग होती है। इनकी कीमत ₹100 प्रति किलो से लेकर ₹1000 प्रति किलो तक हो सकती है। रेशे के अलावा खाद बना कर भी यह तीनों दोस्त अच्छा खासा रुपया कमा रहे हैं। केले के पौधों से रेशा निकालने के बाद शेष भाग को गोबर की मदद से वर्मी कंपोस्ट बनाया जाता है जिसे वह बाजार में अच्छे भाव में बेच देते हैं।

अपने सपने को पूरा करना केवल यह तीनों दोस्त कमा रहे हैं बल्कि उन्होंने गांव के कई लोगों को ही रोजगार देकर उनका जीवन बदल दिया है। उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि घर बैठे ही उन्हें इतनी अच्छी नौकरी मिल जाएगी। बता दें कि तीनों दोस्त अपनी फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को 8 से 10 हजार रुपए प्रति महीने की सैलरी देते हैं।

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