यूपी में जातिगत राजनीति अपने चरम पर : इस जाति को लुभाने में लगे हुए हैं सभी राजनीतिक दल
डेस्क: आने वाले कुछ समय में उत्तर प्रदेश सहित चार अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसकी तैयारी में सभी पार्टियां लगी हुई है। लेकिन देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले सभी पार्टियां महिलाओं और पिछड़े वर्ग को लुभाने में लगे हुए हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि राज्य में आबादी का 54% हिस्सा ओबीसी का है।
यूपी का भाग्य बदलने में ओबीसी मत महत्वपूर्ण
कहा जाता है कि प्रदेश का भाग्य बदलने के लिए ओबीसी एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके साथ ही महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 46% है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल महिलाओं को अपने तरफ करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस और भाजपा सहित सभी पार्टियां अलग-अलग अभियान चला रहे हैं।
भाजपा की तरफ महिलाओं का झुकाव क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद महिला स्वयं सहायता समूह के खाते में 1000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं। भाजपा के तरफ महिलाओं का झुकाव होने का एक और प्रमुख कारण उज्जवला और पीएम आवास जैसी योजनाएं हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी विधानसभा चुनाव में 40% टिकट महिलाओं को देने का वादा किया है। इसके अलावा अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी महिलाओं को अपने तरफ करने के लिए महिला विंग बनाया है।
बसपा को ही समझ आया महिलाओं का महत्व
बसपा जो कि महिलाओं के विषय में कभी बात नहीं करती थी सभी पार्टियों के महिलाओं के प्रति प्रेम को देखकर इसी बहाव में बहने लगी है। बसपा भी यह साबित करने में लगी हुई है उनके कार्यकाल के दौरान महिलाओं की आर्थिक और शैक्षिक सुंदरता के लिए काम किया गया था। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण की बात भी बसपा कर रही है।
महिलाओं के अलावा ओबीसी की अहमियत को देखते हुए सभी पार्टी के नेता ओबीसी मतदाताओं को भी आने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए समाजवादी पार्टी गैर यादव एवं ओबीसी नेताओं को भी टिकट देने के लिए तैयार है। ऐसे में देखना है कि महिला और ओबीसी वोटर्स को रिझाने में कौन सी पार्टी सफल होती है।