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दिल्ली के मोनीश ने बनाया ऐसा कूलर, बिना बिजली के ही 30 डिग्री तक कम कर देती है तापमान, ऐसे करती है काम

 

डेस्क: जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी के साथ ही बिजली की मांग में भी काफी वृद्धि हुई है। सेंटर ऑफ साइंस एंड एनवायरनमेंट के एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल देश की राजधानी में ही पिछले कुछ समय से बिजली की खपत में औसतन 25-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसे थर्मल स्ट्रेस कहा जाता है।

गर्मी के अपने चरम में होने के दौरान बिजली की मांग और भी अधिक बढ़ जाती है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में कूलिंग एनर्जी की खपत अगले एक दशक में दोगुनी होने की संभावना है और 2017-18 की तुलना में अगले दो दशकों में यह लगभग चार गुना हो जाएगी।

टेराकोटा और पानी से बनाया कूलर

हालांकि, दिल्ली के रहने वाले एक आर्किटेक्ट मोनीश सिरिपुरपु, और उनकी फर्म एंट स्टूडियो, एयर कंडीशनर पर हमारी निर्भरता को कम करने के लिए टेराकोटा और पानी का उपयोग करते हुए ‘कूलैंट’ का आविष्कार किया है। यह मशीन आधुनिक तकनीकों के साथ प्राचीन प्रणालियों का संयोजन।

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स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली से स्नातक, और कैटेलोनिया, स्पेन के उन्नत वास्तुकला संस्थान से रोबोटिक्स एप्लिकेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के बाद मोनीश कहते हैं, “एंट स्टूडियो में केवल आर्किटेक्ट नहीं, बल्कि विभिन्न पृष्ठभूमि के कलाकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक और डिजाइनर भी काम करते हैं।”

‘कूलैंट’ ऐसे करती है काम

“परंपरागत रूप से, पानी को ठंडा करने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता रहा है। ‘कूलैंट’ बाष्पीकरणीय शीतलन के समान सिद्धांत का उपयोग उल्टे क्रम में क्रम में करते हैं, जिसमें मिटटी के बर्तनों के ऊपर पानी डाल दिया जाता है और इसे प्रसारित कर दिया जाता है। हवा बेलनाकार खोखले ट्यूब के आकार के इन बर्तनों से गुजरती है और कमरे को ठंडा करती है। जब हवा वापस बाहर आती है तो यह गर्म हवा नहीं छोड़ती है जिससे प्रकृति को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता।

मधुमक्खी के छत्ते से प्रेरित होकर किया गया डिज़ाइन

डिजाइन पर काम करते हुए, दिल्ली स्थित एंट स्टूडियो टीम ने मधुमक्खी के छत्ते की संरचना की ज्यामिति से प्रेरित होकर ‘कूलैंट’ को इसी डिज़ाइन में बनाया है। मोनीश का कहना है, “यह एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है, जिसे हमने उन्नत कम्प्यूटेशनल विश्लेषण और आधुनिक कैलिब्रेशन तकनीकों का उपयोग करके अनुकूलित किया है।”

‘कूलैंट’ को चलाने के लिए एक आम कूलर के मुकाबले न के बराबर बिजली (केवल पानी के पंप के लिए) और पानी की आवश्यकता होती है। ‘कूलैंट’ में उपयोग किये गए बेलनाकार शंकुओं को बनाने के लिए टेराकोटा का इस्तेमाल किया गया क्योंकि गर्मी के प्रति उच्च प्रतिरोध, मजबूत संरचना और निर्माण में आसानी के लिए यह एक अच्छा विकल्प था।

30 डिग्री तक कम कर सकती है तापमान

हालांकि इन संरचनाओं द्वारा कम की जाने वाली गर्मी की मात्रा बाहरी तापमान, पानी के तापमान, आर्द्रता और पर्यावरण पर निर्भर करती है। गर्मियों के दौरान अपने परीक्षणों में एंट स्टूडियो ने पाया कि यह मशीन आराम से तापमान को 30 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकती है। यह पानी के तापमान पर भी निर्भर करता है।

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