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कभी बेचा करते थे कैलकुलेटर, गृह मंत्रालय की नौकरी छोड़ आज युवाओं को बना रहे हैं IAS/IPS

डेस्क: मूल रूप से पंजाब के रहने वाले डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का कहना है कि इंटरनेट पर उनके बारे में कई जानकारियां गलत हैं। उदाहरण के लिए, उनका जन्म 1973 में हुआ था न कि 1976 में। उन्होंने यूपीएससी का अपना पहला प्रयास वर्ष 1996 में दिया था।

उनका कहना है कि अगर उनका जन्म 1976 में हुआ होता, तो वे 20 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कैसे शामिल हुए होते। उसके लिए कम से कम 21 साल का होना जरूरी है।

उनका यूपीएससी का सफर काफी दिलचस्प रहा है। वे नहीं चाहते थे कि किसी को पता चले कि वे यूपीएससी में भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 1996 में अपने पहले प्रयास में प्री क्लियर करने के बाद, उन्होंने मुख्य परीक्षा के लिए बैंगलोर के केंद्र को चुना।

वह दिल्ली से बेंगलुरू की फ्लाइट लेकर परीक्षा देने जाते और परीक्षा देने के बाद फ्लाइट से दिल्ली लौटते और फिर मुखर्जी नगर की सड़कों पर घूमते थे ताकि उनके साथियों को लगे कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा नहीं दी होगी।

24 साल की उम्र में पढ़ाना शुरू किया

दृष्टि आईएएस के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का कहना है कि पहले प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। लोगों से खूब पैसे उधार लिए। उन्होंने यूपीएससी के उम्मीदवारों को वर्ष 1998 में साढ़े 24 साल की उम्र में पढ़ाना शुरू किया।

उनके पिता हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कॉलेज में हिंदी के शिक्षक रह चुके हैं। उनकी मां भी हरियाणा के भिवानी के एक स्कूल में हिंदी पढ़ाती थीं। विकास दिव्यकीर्ति सहित उनके दोनों भाइयों की प्रारंभिक शिक्षा एक ही स्कूल में हुई थी।

Dr Vikas Divyakirti Drishti IAS

राजनीति में सक्रिय थे डॉ. दिव्याकीर्ति

भिवानी से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, विकास दिव्यकीर्ति के पिता चाहते थे कि वह एक बड़ा नेता बने। इसी वजह से उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। इसके बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े। पढ़ाई के पहले साल के खत्म होते-होते ऐसा संकट आ गया कि उन्हें डीयू का छात्रसंघ चुनाव लड़ने से हटना पड़ा।

अपने छात्र जीवन में वे वाद-विवाद और कविता जैसी चीजों में भी सक्रिय थे। हिस्ट्री ऑनर्स का पहला साल खत्म हुआ, जिसके बाद उन्होंने सेल्समैन के तौर पर काम करना शुरू किया। वह दिल्ली में कैलकुलेटर बेचते थे, हालांकि उन्हें इस काम में ज्यादा समय नहीं लगा और वे एक छोटे उद्यम की ओर आगे बढ़ गए।

वाद-विवाद से छिटपुट खर्च निकाल कर उन्होंने अपने भाई के साथ छपाई का काम शुरू किया। विकास दिव्यकीर्ति अपने स्कूल के दिनों में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज से स्नातक करने आए, फिर उस समय वह मंडल आयोग को लेकर आरक्षण विरोधी आंदोलन का भी हिस्सा बने।

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की शिक्षा

डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने बीए (इतिहास), एमए हिंदी, एमए समाजशास्त्र, जनसंचार, एलएलबी, प्रबंधन आदि का अध्ययन किया। उन्होंने हिंदी में पीएचडी भी की। हालांकि वह नौवीं कक्षा तक अंग्रेजी विषय में फेल हो जाते थे लेकिन यह सभी डिग्रीयां उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से की।

पहले ही प्रयास में यूपीएससी पास करने के बाद उन्हें गृह मंत्रालय की नौकरी मिली। कुछ समय बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और डीयू कॉलेज में पढ़ाने लगे। फिर आईएएस कोचिंग संस्थान दृष्टि की स्थापना की। वह वाद-विवाद के लिए अलग-अलग कॉलेजों में जाया करते थे। उसी समय उन्हें अपनी जूनियर डॉ. तरुना वर्मा से प्यार हो गया। दोनों ने साल 1997 में शादी कर ली।

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