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‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह का हुआ निधन, जाने किसने दिया था ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम

डेस्क: ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से प्रख्यात भारत के महान धावक मिल्खा सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। 18 जून की देर रात उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 91 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोरोनावायरस को मात दी थी।

पिछले गुरुवार को ही इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। होने के बावजूद इसलिए रात उनकी हालत हो गई। इसके बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बता दें कि मिल्खा सिंह भारत के इतिहास में सबसे सफल एथलीट में से एक रहे हैं।

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मिल्खा सिंह के फैन थे। केवल भारत के ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के भी तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान भी मिल्खा सिंह के हुनर के दीवाने थे। अयूब खान नहीं होने फ्लाइंग सिख का खिताब दिया था।

उन्हें फ्लाइंग सिख का खिताब दिए जाने के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा है। दरअसल 1960 के दशक में पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल लेवल ईट कंपटीशन में उन्हें हिस्सा लेने का न्योता मिला था। लेकिन बंटवारे को लेकर उनके मन में काफी तकलीफ थी जिस वजह से वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे।

milkha singh died

जवाहरलाल नेहरू के काफी समझाने के बाद वह पाकिस्तान जाने के लिए तैयार हुए। उस वक्त अब्दुल खालिक पाकिस्तान का सबसे तेज धावक हुआ करता था। उन्हें हराते हुए मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान आयोजित नेशनल एथलीट कंपटीशन में ने जीत दर्ज करवाई।

उनके प्रदर्शन को देखकर तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल आयोग खान ने मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख का खिताब दिया और कहा कि “आज तुम बड़े नहीं उड़े हो।” तब से ही उनके नाम के साथ फ्लाइंग सिख को जोड़ा जाने लगा।

1958 में भारत में उड़ीसा के कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में उन्होंने रिकॉर्ड बनाए। इसके बाद एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता। उसी साल इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।

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