यूरोपियन संसद में CAA पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
फ्रिंड्स ऑफ पाकिस्तान पर हावी रहा फ्रेंड्स ऑफ इंडिया
डिजीटल डेस्क: भारत (India) को नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के मुद्दे पर कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है। यूरोपीय संसद (European Parliament) में भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पेश प्रस्ताव पर अब आज वोटिंग नहीं कराई जा सकेगी।
यूरोप संसद ने बुधवार को इस मार फैसला किया कि सीएए पर वोटिंग 2 मार्च से शुरू हो रहे उसके नए सत्र में कराई जाएगी। माना जा रहा है कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मार्च में ब्रसेल्स में होने वाले द्विपक्षीय सम्मेलन को चलते लिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि अब इस प्रस्ताव पर 31 मार्च को वाटिंग कराई जा सकती है।
खबरों के मुताबिक बिजनेस एजेंडा (Bussiness Agenda) के क्रम में दो वोट डाले जाने थे। पहला प्रस्ताव को वापस लेने को लेकर था। इसके पक्ष में 356 वोट पड़े जबकि विरोध में 111 वोट डाले गए। इसी तरह दूसरा प्रस्ताव वोटिंग बढ़ाने को लेकर था। इसके पक्ष में 271 वोट डाले गए जबकि विरोध में 199 वोट पड़े। वोटिंग टलने को जानकार भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देख रहे हैं। उनका कहना है कि फ्रेंड्स ऑफ पाकिस्तान (Friends of pakistan) पर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (Friends of India) हावी रहा। जानकारों के मुताबिक प्रस्ताव पर चर्चा तय कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी लेकिन इस पर वोटिंग 30 और 31 मार्च को हो सकती है।
ज्ञात हो कि इससे पहले यूरोपीय संसद (European Parliament) के छह राजनीतिक दलों के सदस्यों ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव के साथ ही भारत में लागू किए गए इस कानून को भेदभाव करने वाला करार दिया था। सूत्रों के मुताबिक, ब्रेग्जिट से ठीक पहले भारत के खिलाफ यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पारित कराने के निवर्तमान ब्रिटिश MEP शफ्फाक मोहम्मद की कोशिश असफल हो गई। भारत की ओर से इस पर कहा गया है कि नया नागरिकता कानून पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।
यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन ऑफ स्टेटलेस पर्सन्स, यूरोपीय संघ के मानवाधिकार रक्षकों के दिशानिर्देशों और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों द्वारा बयान के आधार पर बनाया गया है, जिसमें भारत और असम के लाखों लोगों के लिए स्टेटलेसनेस और अस्थिरता के जोखिम पर बयान दिया गया है जिसमें कई लोगों के बयान भी शामिल हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को इस प्रस्ताव को लेकर यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को लिखा था कि एक विधायिका के लिए दूसरे पर निर्णय पारित करना अनुचित है और निहित स्वार्थों से इस प्रथा का दुरुपयोग किया जा सकता है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी भारत के रुख को दोहराते हुए कहा था कि देश के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।