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14 की उम्र में हो गई थी शादी, दृढ़ संकल्प से बनी IPS, जानिए N. Ambika की पूरी कहानी

 

डेस्क: वैसे तो भारत महिला सशक्तिकरण के मामले में दिन-प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। लेकिन आज भी हमारे देश में कई ऐसे गांव हैं जहां लड़की के 14-15 साल के होते हैं उनकी शादी करा दी जाती है।

हालांकि पहले लड़कियों के शादी की कानूनन आयु 18 साल की थी। लेकिन अब उसे बढ़ाकर 21 साल कर दिया गया है। फिर भी कई ऐसे जगह है जहां इन कानूनों का आज भी पालन नहीं किया जाता।

कई लड़कियों की कम उम्र में ही शादी हो जाने की वजह से उनके सपने धरे के धरे रह जाते हैं। कम उम्र में ही घर गृहस्थी के बंधन में बंध जाने के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाती हैं।

आज हम आपको एक ऐसे ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी शादी 14 वर्ष की आयु में ही करा दी गई थी। लेकिन फिर भी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने आईपीएस अफसर बन कर दिखाया।

तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में रहने वाली अंबिका जब 14 साल की थी तभी उसकी शादी करवा दी गई थी। उसकी शादी एक पुलिस हवलदार से की गई थी।

खुशी-खुशी अपने शादीशुदा जीवन का निर्वाह कर रही थी। 18 वर्ष की होते-होते उसके दो बच्चे भी हो गए।

अंबिका अपने पति के साथ गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड देखने गई थी, तब उसने अपने पति को उच्च अधिकारियों को सलाम करते देखा।

अपने पति से पूछा कि आखिर वे कौन थे और आप उन्हें सलाम क्यों कर रहे थे? तब उसके पति ने उसे समझाया कि यह लोग आईपीएस अफसर थे। आईपीएस बनने के लिए बहुत मुश्किल परीक्षा पास करनी पड़ती है।

तभी पति यह बात सुनकर एन अंबिका ने मन ही मन में ठान लिया कि वह भी इस एग्जाम को पास कर के आईपीएस बन कर दिखाएगी।

अंबिका की 14 साल की उम्र में शादी हो जाने की वजह से उसकी पढ़ाई भी छूट गई थी। उसने दसवीं की परीक्षा भी नहीं दी थी। ऐसे में आईपीएस बनने के जुनून में उसने प्राइवेट कोचिंग से ही दसवीं की परीक्षा दी।

दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद उसने डिस्टेंस लर्निंग से अपनी ग्रेजुएशन भी पूरी की। इन सब में उसके पति भी उसके साथ खड़े थे।

ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उसने चेन्नई में रहकर तैयारी करने का मन बनाया। ऐसे में उसके पति ने अपनी नौकरी के साथ-साथ बच्चों का भी देखभाल किया।

अंबिका को सिविल सेवा की परीक्षा पास करने में अधिक समय लग रहा था। तीन बार यूपीएससी की परीक्षा देने पर भी सफलता न मिल पाने पर अंत में उसके पति ने उसे वापस लौटने को कहा।

लेकिन अभी भी अमेरिका हार नहीं मान रही थी। वह एक अंतिम प्रयास करना चाहती थी। अंतिम बार प्रयास करने के लिए वह वापस घर नहीं गई।

अंतिम प्रयास में उसकी मेहनत रंग लाई रंग लाई और वह 2008 में एग्जाम पास कर एक आईपीएस अफसर बनकर ही घर लौटी।

आईपीएस एन. अंबिका की इस कहानी से यह सीख मिलती है कि मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी हो, आपकी मेहनत आपको मंजिल तक जाने से नहीं रोक सकती।

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