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बड़ी चेतावनी : बारिश से प्रभावित हिमाचल, हो सकता है कुछ बहुत भयंकर

डेस्क: गुरुवार को कुल्लू के आनी में भारी बारिश के कारण इमारतों में दरारें पड़ने के बाद कम से कम आठ इमारतों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया। इससे बारिश से प्रभावित हिमाचल प्रदेश में ऐसी संरचनाओं की संवेदनशीलता उजागर होती है।

पूरे राज्य में इमारतें ढहने की खबरें आई हैं, जहां इस मानसून में भारी बारिश के कारण भूस्खलन अचानक बाढ़ आई है वहीं केवल अगस्त में कम से कम 120 लोगों की जान भारी बारिश के कारण गई है। जबकि जून में मानसून की शुरुआत के बाद से अब तक 238 लोग मारे गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार राज्य को अब तक 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

नदियों और जल निकायों के किनारे स्थित बस्तियाँ विशेष रूप से असुरक्षित रही हैं। पिछले हफ्ते शिमला के कृष्णा नगर में दो लोगों की जान गई और आठ घर ढह गए। पड़ोसी सोलन के शामती गांव में भूस्खलन के कारण लगभग 30 घर ढह गए।

विशेषज्ञों की टीम ने दी चेतावनी

15 अगस्त को भूस्खलन के बाद इसके कारण का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि यह मिट्टी की ढीली परत के कारण हुआ था। शिमला में बार-बार हो रहे भूस्खलन ने सरकार को समिति गठित करने के लिए प्रेरित किया।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्ययन से पता चलता है कि राज्य में 38,000 वर्ग किमी का एक बड़ा क्षेत्र भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील है और 7,800 वर्ग किमी को उच्च जोखिम में माना जा रहा है।

शिमला में भूस्खलन के कारणों का अध्ययन करने वाले पैनल के समन्वयक रंधावा ने भूवैज्ञानिक गतिशीलता की समझ के बिना जल निकायों के पास संरचनाओं के निर्माण के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि गलत जानकारी के आधार पर किया गया निर्माण जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल सकता है।

शिमला में भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हुई अधिकांश इमारतें किसी नदी के रास्ते पर बनी थीं। विशेषज्ञों ने कहा कि कई इमारतें निर्माण के लिए अनुपयुक्त थीं। शिमला के मुख्य वास्तुकार राजीव शर्मा ने कहा, “लोग सस्ती निर्माण सामग्री से घर बना रहे हैं, जिससे ये संरचनाएं और भी कमजोर हो गई हैं।”

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