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आइजी की अनुशासनहीनता की सूचना देना बीएसएफ डीआइजी को पड़ा भारी, मिली ईमानदारी की सजा

डेस्क: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय, सिलीगुड़ी में तैनात इंटेलिजेंस विभाग के एक वरिष्ठ डीआइजी को अपनी ईमानदारी की सजा मिली है। जिस काम के लिए वे तैनात थे, वही काम करने पर बीएसएफ के हुक्मरानों को यह रास नहीं आया और करियर के अंतिम समय में उन्हें पनिशमेंट ट्रांसफर की सजा दी है।

उनका दोष महज इतना था कि उन्होंने अनुशासनहीन आइजी की हरकतों की सूचना ऊपर तक पहुंचाई थी, जबकि उनकी तैनाती विभाग में डीआइजी (जी) के तौर पर खुफिया सूचनाओं को ऊपर पहुंचाने की ही थी। लेकिन, बीएसएफ के शीर्ष पर बैठे अधिकारियों को उस डीआइजी की यह गुस्ताखी पसंद नहीं आई और रिटायरमेंट से महज सात महीने पहले उनका तबादला कर दिया है।

फ्रंटियर के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, डीआइजी (जी) के पद पर तैनात उक्त अधिकारी का मध्यप्रदेश के टेकनपुर में ऐसी जगह तबादला कर दिया गया है, जो बेहद कम महत्वपूर्ण पद माना जाता है। पिछले कई सालों से वहां यह पद खाली पड़ी थी। सूत्र की मानें तो बीएसएफ में तीन दशक से ज्यादा के अपने करियर में एक कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारी के रूप में पहचान रखने वाले उक्त डीआइजी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सर्विस के अंतिम दिनों में उन्हें यह दिन देखना पड़ेगा। वह भी ऐसे समय में जब उनके पिता का देहांत महज 15 दिन पहले ही हुआ है।‌ अभी वह इस सदमे से उबरे भी नहीं थे कि बीएसएफ के बाबूओं ने उन्हें तबादले का आदेश पकड़ा दिया।

क्या है मामला?

दरअसल, बीएसएफ के नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के आइजी सुनील कुमार (आइपीएस) को अनुशासनहीनता के आरोप में हाल में पद से हटाकर उन्हें उनके मूल कैडर में जम्मू कश्मीर वापस भेज दिया गया। उन पर आरोप था कि वह कुर्ता -पायजामा व चप्पल पहन कर ‌डीआइजी हेडक्वार्टर का वार्षिक निरीक्षण करने पहुंचे थे। यह भी आरोप था कि उन्होंने अधिकारी मेस में दो दिन तक रहने और खाने का बिल तक नहीं चुकाया।

उनपर भ्रष्टाचार समेत और भी कई गंभीर आरोप थे। बताया जाता है कि डीआइजी (जी)‌ ने अपनी ड्यूटी के तहत उक्त अधिकारी की इन हरकतों के बारे में समय-समय पर संबंधित उच्च अधिकारियों के पास रिपोर्ट करते रहे। लेकिन इन शिकायतों के बाद भी आईजी की ऊपर तक इतनी पहुंच थी कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। ‌हालांकि इस बीच आइजी की अनुशासनहीनता के बारे में मीडिया में खबर सामने आने के बाद जैसे ही यह खबर बीएसएफ मुख्यालय और गृह मंत्रालय तक पहुंची, इसके तुरंत बाद करीब दो सप्ताह पहले सुनील कुमार को आईजी पद से हटा दिया गया।

उन्हें प्रतिनियुक्ति की अवधि पूरी होने से पहले ही अपने मूल कैडर जम्मू कश्मीर में वापस भेज दिया गया। हालांकि सूत्र की मानें तो इतने गंभीर आरोपों के बावजूद उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई, सिर्फ उन्हें हटाकर उनके मूल कैडर में भेज दिया गया। जम्मू कश्मीर के 1996वें बैच के आइपीएस अधिकारी कुमार को पिछले साल ही बीएसएफ में नियुक्त किया गया था। कुमार को आइजी पद से हटाने की कार्रवाई तो हुई लेकिन अपनी ड्यूटी करने पर ईमानदार डीआइजी को भी बेवजह तबादले का दंड झेलना पड़ा है।

डीआइजी के खिलाफ कार्रवाई से नाराजगी

इधर, डीआइजी के खिलाफ इस कार्रवाई से बल के भीतर अन्य अधिकारियों में भी नाराजगी है। बीएसएफ के एक पूर्व अधिकारी ने भी इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि यह अन्याय है। एक ईमानदार व कर्मठ अफसर को हतोत्साहित करने के लिए यह किया गया है। नाम नहीं बताने की शर्त पर पूर्व बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि बल के भीतर शीर्ष पदों पर बैठे आइपीएस अधिकारियों की लॉबी बाजी हावी है। उनकी मानें तो यह कार्रवाई दिखाता है कि यदि आईपीएस के खिलाफ शिकायत करोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा।

आईजी पर हैं कई गंभीर आरोप, सिलीगुड़ी से बिहार भिजवाते थे सब्जी व मछली

दरअसल आईजी पद से हटाए गए सुनील कुमार पर सिर्फ कुर्ता- पायजामा व चप्पल पहनकर निरीक्षण करने व मेस का बिल नहीं चुकाने का ही नहीं बल्कि और भी कई गंभीर आरोप हैं। बीएसएफ सूत्रों की मानें तो जब वह निरीक्षण में जाते थे तो उनका 10 -12 साल का एक बेटा भी उनके साथ होता था।

बीएसएफ में जो अंदरूनी बैठकें व ब्रीफिंग चलती है उसमें भी उनका बेटा साथ बैठता था। यही नहीं बैठक के दौरान जब कोई कमांडेंट या अधिकारी अपना वक्तव्य रखते थे तो उनकी बात अच्छी लगने पर उनका बेटा उक्त अधिकारी को प्रशंसा पत्र देने की बात भी आईजी पिता से कहता था।

आईजी की सरपरस्ती में यह सब ड्रामा चलता रहा। सूत्र की मानें तो उक्त आईजी ने अपने फ्रंटियर हेडक्वार्टर से दो-चार कर्मियों को पटना में अपने घर पर भी काम के लिए रखे हुए थे। इन सरकारी कर्मियों से वे नौकरों की तरह घर का काम करवाते थे। यही नहीं, उत्तर बंगाल यानी सिलीगुड़ी से वे बिहार के पटना में अपने घर के लिए सब्जियां व मछली भी नियमित तौर पर भिजवाते थे।

सुनील कुमार पर आईजी रहते बीएसएफ के लिए सामानों की खरीदारी में भी हेराफेरी का आरोप है। वहीं, मूल रूप से बिहार के पटना के ही रहने वाले डीआइजी (जी), जिनका तबादला किया गया है, उनका सिर्फ यही कसूर है कि वह आईजी की इन हरकतों के बारे में ऊपर रिपोर्ट करते गए, जोकि ऐसा करना उनकी ड्यूटी बनती है। लेकिन कभी अपने मूल्यों के साथ समझौता नहीं करने वाले और हमेशा बल के अनुशासन पर चलने वाले डीआइजी को इसका खामियाजा तबादले की सजा के रूप में मिली है।

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