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सत्ता में आने के बाद से पीएम मोदी ने बदले इन योजनाओं के नाम, काफी लंबी है लिस्ट

 

डेस्क: आज 6 अगस्त के दिन केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है। पीएम मोदी के ऐसा घोषणा करने के बाद से ही सियासत गर्म हो चुकी है। देश भर से कई जनता एक तरफ जहां पीएम मोदी के फैसले का समर्थन कर रही है तो वहीं कई कांग्रेसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।

2014 के बाद से ही जब से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, कई योजनाओं के नाम बदले गए हैं जिसमें खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना भी शामिल है। ज्यादातर योजना ऐसे हैं जो नेहरू व गांधी परिवार के नाम पर थे इसलिए मोदी के इस काम का कांग्रेसियों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

नाम बदलने के लिए पीएम को प्राप्त हो रहे थे अनुरोध

दरअसल, टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद से ही पीएम मोदी को इसके लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे थे। पीएम मोदी को कई ऐसे अनुरोध प्राप्त हो रहे थे जिसमें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कहा जा रहा था। उन्हीं लोगों की भावना का सम्मान करते हुए पीएम ने ऐसा किया है।

ज्यादातर नाम दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर बदले गए

जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है ज्यादातर वहीं की सरकारों ने शहरों, संस्थानों और स्टेशनों के नाम बदले हैं। ज्यादातर नाम जनसंघ के संस्थापक और बीजेपी की विचारधारा के सूत्रधार दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर ही रखे गए हैं। इनमें रेलवे स्टेशन और शिक्षण संस्थान आदि शामिल है।

नाम बदलने को लेकर कांग्रेस ने लगाया आरोप

कांग्रेस का केंद्र सरकार पर आरोप है कि भाजपा कांग्रेस के समय की योजनाओं काही केवल नाम बदलकर उसे नया दिखाने की कोशिश कर रही है। उनका आरोप है कि जानबूझकर केंद्र सरकार इस तरह के काम कर रही है। 2017 के एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस तरह के दावे किए थे।

इनमें इंदिरा आवास योजना, इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना, राजीव ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, राजीव आवास योजना आदि नाम शामिल हैं। जिनके नाम बदलकर क्रमशः प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और सरदार पटेल राष्ट्रीय शहरी आवास मिशन कर दिया गया है।

गांधी परिवार के नाम पर थे 600 योजनाओं के नाम

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गांधी और नेहरू परिवार के नाम पर देश में करीब 600 से अधिक सरकारी योजनाओं के नाम रखे गए थे। जिनमें कई केंद्रीय योजनाएं, कई राज्य योजनाएं, कई खेल टूर्नामेंट, ट्रॉफी, स्टेडियम, हवाई अड्डे और बंदरगाह, शैक्षणिक संस्थान और पुरस्कार सहित कई अस्पताल और चिकित्सा संस्थान के नाम भी शामिल थे।

योजनाओं के साथ-साथ संस्थानों के भी नाम बदले गए

भाजपा के केंद्र में आने के बाद से ही कई योजनाओं के नाम के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों के भी नाम बदले गए इनमें सबसे प्रमुख 2020 में “इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस” का नाम बदलकर “मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस” करना है।

इसके अलावा भी पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम पर एक संस्कृतिक केंद्र का नाम रखा गया था। नवोदित राजनयिकों को प्रशिक्षित करने वाले विदेश सेवा संस्थान का नाम बदलकर सुषमा स्वराज भवन कर दिया गया था। साथ ही राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान का भी नाम बदलकर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम पर अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान कर दिया गया है।

इसी साल के फरवरी महीने में अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम बना जिसका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा गया जिस पर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी। बता दें कि स्टेडियम को पहले सरदार पटेल स्टेडियम के नाम से जाना जाता था।

योगी आदित्यनाथ ने भी बदले कई नाम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सत्ता में आने के बाद से रेलवे स्टेशनों के नाम में कई बड़े बदलाव किए इसमें सबसे प्रमुख मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, इलाहाबाद को प्रयागराज तथा फैजाबाद को अयोध्या का नाम देना है।

इसके अलावा हरियाणा में भी मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया गया था। साथ ही प्रधानमंत्री आवास के पास रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग और औरंगजेब रोड का भी नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था।

कई और नाम बदलने के लिए किए जा रहे अनुरोध

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाए। साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय का नाम बदलकर वीर सावरकर विश्वविद्यालय करने की मांग भी पिछले साल उठी थी।

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