खेल जगत में न सही, लेकिन 21वीं सदी के भारत का नींव रखने में राजीव गांधी का था बड़ा योगदान
डेस्क: पिछले दिनों हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता की मांग पर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया जिसके बाद से ही काफी विवाद शुरू हो गए। कुछ लोग प्रधानमंत्री के फैसले का समर्थन कर रहे हैं तो अधिकतर कांग्रेसी इसका विरोध कर रहे हैं।
कईयों का कहना है कि यदि मेजर ध्यानचंद के नाम पर पुरस्कार देना ही था तो कोई नया पुरस्कार घोषित कर देते। तो वहीं कई लोग ऐसे हैं जो यह सवाल कर रहे हैं कि खेल जगत में राजीव गांधी का क्या योगदान है? ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि राजीव गांधी का देश की प्रगति में कितना योगदान है।
ना चाहते हुए भी आना पड़ा राजनीति में
राजीव गांधी के पिता का नाम फिरोज गांधी तथा माता का नाम इंदिरा गांधी का। विदेश से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर भारत लौटने के बाद वह इंडिया एयरलाइंस में विमान चालक के तौर पर नौकरी करने लगे। उनके भाई संजय गांधी के विमान दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद ना चाहते हुए भी उन्हें राजनीति में आना पड़ा।
अभी तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं राजीव
इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद वह भारत के छठे प्रधानमंत्री बने। जब उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को संभाला तब उनकी उम्र मात्र 40 वर्ष ही थी। ऐसे में अब तक के भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी का नाम दर्ज है। अपने शासनकाल में उन्होंने कई ऐसे काम किए जिसने 21वीं सदी के भारत की नींव रखी। इसमें कई काम है ऐसे भी है जिसके लिए उन्हें काफी विरोध हो का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी वह नहीं रुके।
राजनीति को सत्ता के दलालों से मुक्त करने की कही बात
भारतीय राजनीति में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही सबसे पहले भारतीय राजनीति को साफ करने की बात कही थी। भारतीय राजनीति को सत्ता के दलालों से मुक्त करने की बात करने वाले वे सबसे पहले प्रधानमंत्री हैं। उनका मानना था कि सत्ता के दलाल राजनीति को गंदा कर रहे हैं। इन्हें साफ करना आवश्यक है।
मतदान की आयु सीमा घटाई
पहले मतदान के लिए किसी भी व्यक्ति का 21 वर्ष का होना आवश्यक था। लेकिन सत्ता में आने के बाद राजीव गांधी ने मतदान की आयु सीमा को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया। उनका मानना था देश के युवा जितनी जल्दी राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें इतना बढ़िया है।
विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में किए बड़े कार्य
राजीव गांधी का मानना था कि बिना विज्ञान और तकनीक के उद्योग का विकास नहीं हो सकता। उद्योगों के विकास के लिए भारत को भी बाकी देशों के साथ चलने की आवश्यकता को समझते हुए उन्होंने भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत की। इसी के साथ भारत को आईटी के क्षेत्र में आगे लाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
पंचायती राज व्यवस्था की रखी नींव
राजीव गांधी का मानना था कि देश के समग्र विकास के लिए लोकतंत्र के सबसे निचले स्तर तक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी।
एशियाई खेलों की आयोजन समिति के रहे सदस्य
देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1982 में राजीव गांधी एशियाई खेलों की आयोजन समिति के सदस्य थे और उस समय एशियाई खेलों नई दिल्ली के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया। दिल्ली के स्वरूप में काफी बदलाव देखने को मिले। कई प्रसिद्ध फ्लाईओवर और सड़कों का निर्माण भी किया गया।
भारत में लाया दूरसंचार क्रांति
दूरसंचार के महत्व को समझते हुए देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री ने भारत में दूरसंचार क्रांति का नींव रखा । इसके अंतर्गत उन्होंने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलीमेटिक्स की स्थापना की। शहरों से गांव तक दूरसंचार का जाल बिछा जिसके कारण सूचनाओं का प्रसार तेजी से होने लगा। इसी के साथ राजीव गांधी ने एमटीएनएल की भी स्थापना की जिससे दूरसंचार के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई।
राजीव गांधी ने लाई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1986 में शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर करने के लिए राजीव गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की। इसके साथ ही राजीव गांधी ने नवोदय विद्यालयों का भी नींव रखा। जिसमें कक्षा 6 से लेकर के 12वीं तक मुफ्त शिक्षा दिया जाने लगा।
सभी देशों के साथ बढ़ाए संबंध
अपने कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने कई देशों की यात्राएं की। ऐसा करके उन्होंने अन्य देशों के साथ ना केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक संबंध भी बढ़ाए। इसी के साथ राजीव गांधी ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त की। लगभग एक दशक के राजनीतिक जीवन के बाद एक सभा के दौरान बम विस्फोट की घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
बाद में भारत सरकार द्वारा राजीव गांधी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत के विकास के लिए राजीव गांधी ने कई ऐसे काम किए जिससे किसी सदी के भारत की नीव उस वक्त रखी गई। लेकिन खेल जगत में राजीव गांधी का शायद ही कोई महत्वपूर्ण योगदान रहा होगा। ऐसे में खेल रत्न पुरस्कार से उनका नाम हटाना कितना सही अथवा गलत है इसका फैसला आपको ही करना है।