राजनीति

बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के हार की विशेषज्ञों ने बताई वजह, यहां हुई गलती

डेस्क: कुछ ही दिनों पहले बंगाल में विधानसभा चुनाव पूरे हुए और चुनाव के नतीजे भी आए। भाजपा का दावा था कि इस विधानसभा चुनाव में उन्हें 200 से अधिक सीटों पर जीत मिलेगी।

पूरे बंगाल में परिवर्तन की एक लहर देखने को मिल रही थी। लेकिन जैसे ही चुनाव के परिणाम घोषित हुए, भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा।

राज्य की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 200 से अधिक सीटें मिल गई और भाजपा 100 सीटों के अंदर ही सिमट कर रह गई।

mamata's victory in Bengal elections

इस विषय में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पहले ही कहा था कि भाजपा को राज्य में 100 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी और अगर ऐसा होता है तो वह चुनाव प्रबंधन का कार्य छोड़ देंगे।

आपको बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा को केवल 3 सीटों पर ही जीत मिली थी। जबकि 2021 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा 77 तक पहुंच गया। इसे भाजपा की बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

इतने प्रयासों के बाद भी हालाकी बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई। लेकिन 3 सीटों से मुख्य विपक्षी दल बनने तक का यह सफर बंगाल में बढ़ रहे भाजपा के असर को दिखाती है।

भाजपा के इस हार को लेकर विशेषज्ञों की राय सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के हार की आखिर क्या वजह थी।

दरअसल, इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को महिलाओं और युवाओं के ऊपर सबसे ज्यादा भरोसा था। लेकिन इन दो वर्गों का समर्थन भाजपा को उतना नहीं मिला जितने की उम्मीद थी।

ठीक इसी के विपरीत ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस महिला और युवा को के साथ जोड़ने में सफल रही। यही वजह है की महिलाओं और युवाओं के समर्थन से तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में आ सकी।

mamata got support of women

अल्पसंख्यक समुदाय वैसे ही भाजपा के विरोध में रहती है। जबकि मध्यम वर्ग के लोग समय के साथ अपना मत बदलते रहते हैं। वहीं महिला और युवा वर्ग, जिन्होंने कई राज्यों में भाजपा की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बंगाल में उनका समर्थन भाजपा ना पा सकी।

ममता बनर्जी की सरकार द्वारा महिलाओं के हित में चलाई गई योजनाओं का लाभ पार्टी को इस चुनाव में मिला। वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेताओं द्वारा ममता बनर्जी पर तीखे शब्दों में किए गए हमले से राज्य के महिलाओं की सहानुभूति भी ममता बनर्जी को प्राप्त हुई।

विशेषज्ञों की मानें तो कुल मिलाकर यही वजह रही कि राज्य में भाजपा अपने दावे के अनुसार 200 सीटों का आंकड़ा नहीं छू सकी। लेकिन भाजपा मुख्य विपक्ष के तौर पर पहली बार उभर कर सामने आई।

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