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बचपन में माता-पिता चल बसे, नानी ने पाला, अब रेवती टोक्यो ओलिम्पिक में लेगी हिस्सा, पढ़ें पूरी कहानी

डेस्क: यह मदुरई की रेवती की तस्वीर है। उसने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था, जब वह चौथी में पढ़ती थी। उसका पालन पोषण उसकी नानी ने किया, जो इस तस्वीर में उसके साथ खड़ी हैं । रेवती तमिल लिटरेचर में लेडी डॉक कॉलेज से ग्रेजुएट हुई। रेवती 23 साल की है और भारत की सबसे बेहतरीन एथलीट्स में से एक है।

नंगे पॉंव दौड़ने का करती थी अभ्यास

रेवती के पास जूते नहीं होने के काराण उसे नंगे पांव अभ्यास करना पड़ता था, लेकिन दृढ़ निश्चय ने मदुरई की वी. रेवती को टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में मदद की। आने वाले दिनों में वह टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।

भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनी गयी

रविवार को पटियाला में ओलंपिक के लिए जाने वाले एथलीटों के शिविर में, रेवती को 4 x 400 मीटर मिश्रित रिले स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। आखिरकार उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई।

53.55 सेकेंड में 400 मीटर दौड़ कर हुई फर्स्ट

रेवती ने 400 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल करने में केवल 53.55 सेकेंड का समय लिया। उसके निकटतम प्रतियोगी को उतनी ही दुरी तय करने के लिए 54.25 सेकंड का समय लगा।

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कोच कन्नन के लिए ओलिम्पिक सपना सच होने जैसा: रेवती

ओलिम्पिक के लिए चुनी जाने ले बाद रेवती ने बताया “यह मेरे कोच कन्नन के लिए एक सपने के सच होने जैसा है। बता दें कि कोच कन्नन के पास वह पिछले दो वर्षों से अभ्यास कर रही है।

कम उम्र में माता पिता को खोया, नानी ने पाला

कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद, रेवती और उनकी छोटी बहनों का पालन-पोषण उनकी नानी ने किया। गरीबी के बावजूद उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि रेवती और उसके भाई बहन स्कूल जा सके। इसके लिए उन्होंने कठिन परिश्रम की।

सुश्री रेवती ने बताया , ‘हमारे रिश्तेदारों मेरी नानी से मुझे काम पर भेजने के लिए कहा करते थे। लोग नानी से कहते थे कि तुम्हारी उम्र हो गयी है लड़कियों को काम पर भेजो और तुम घर पर आराम किया करो। लेकिन नानी ने ऐसा करने से मना कर दिया। वह हमेशा मुझे प्रेरित करती रहीं।’

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घर से स्टेडियम जाने आने के लिए किराये के रुपये भी नहीं थे

रेस कोर्स में स्पोर्ट्स डेवलपमेंट अथॉरिटी स्टेडियम के कोच श्री कन्नन थे, जिन्होंने सुश्री रेवती में प्राकृतिक एथलीट की पहचान की और उन्हें प्रशिक्षित किया। रेवती ने कहा, “मैं अपने घर और स्टेडियम के बीच बस से आने-जाने के लिए हर दिन ₹40 का खर्च नहीं उठा सकती थी और इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, लेकिन उन्होंने मुझे पास के लेडी दोक कॉलेज में एक मुफ्त सीट और छात्रावास में रहने की जगह दिला दी। यह कन्नन सर ही थे, जिन्होंने सपना देखा था कि मैं ओलंपिक में जगह बना सकती हूं, बशर्ते मैंने कड़ी मेहनत की हो।”

रेलवे ने की नौकरी की पेशकश

जब वह प्रैक्टिस शिविर में थी, रेलवे ने उसे पिछले अगस्त में नौकरी की पेशकश की थी। लेकिन रेवती ने इस ऑफर को मना कर दिया। टोक्यो ओलिम्पिक में चयन के लिए मदुरई के मंडल प्रबंधक वी.आर. लेनिन ने उन्हें बधाई दी है।

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