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पेट्रोलियम उत्पादों में GST लगाने पर हो रहा है विचार, क्या सस्ता होने वाला है पेट्रोल?

 

डेस्क: पिछले कुछ समय से पेट्रोल की कीमतें काफी महंगी चल रही है। लोग बस उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि कब पेट्रोल और डीजल सस्ता होगा तो अन्य उत्पादों की कीमतें भी घटेगी। इसी बीच खबर यह आ रही है जीएसटी परिषद पेट्रोल डीजल सहित अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर GST लगाने पर विचार कर सकती है। अनुमान लगाया जा रहा है GST लगाने के बाद पेट्रोल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।

बताया जा रहा है कि शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली बैठक में जीएसटी परिषद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने पर विचार कर सकती है। जब देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड तोड़ रही है, ऐसे में GST को ही एक समाधान माना जा रहा है। बता दें कि GST लगने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत कम हो सकती है क्योंकि तब केंद्र व राज्य से लगाए जाने वाले करो में भारी कमी आएगी।

सरकारों को होगा नुकसान

विशेषज्ञों की मानें तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने से राज्य व केंद्र सरकार को नुकसान होगा क्योंकि इनके आयात पर टैक्स लगाकर यह सरकारी अधिक राजस्व प्राप्त करती थी। लेकिन अब करों में कटौती के कारण उनके लिए यह संभव नहीं होगा। ऐसे में सरकारों को तो नुकसान होगा लेकिन कीमतें सस्ती होने पर आम जनता को सुविधा होगी।

केंद्र व राज्य सरकार के टैक्स में होगी कटौती

जून के महीने में ही केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका के आधार पर जीएसटी परिषद से पेट्रोल व डीजल को GST के दायरे में लाने का फैसला लेने के लिए कहा था। बता दें कि कुछ समय के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था। क्योंकि केंद्र तथा राज्य सरकारों के वित्तीय विभाग इन उत्पादों से मिलने वाले टैक्स पर निर्भर रहते हैं। लेकिन एक बार पेट्रोलियम उत्पादों के GST के दायरे में आ जाने के बाद केंद्र और राज्य सरकार को इन से मिलने वाले टैक्स में भारी कटौती होगी।

अधिकतम 28% ही लगेगा कर

वर्तमान में पेट्रोल और डीजल की कीमतों का अधिकांश हिस्सा केंद्र व राज्य सरकारों के टैक्स में चला जाता है लेकिन जीएसटी लग जाने के बाद मूल्य का अधिकतम 28% ही टैक्स के तौर पर लिया जा सकेगा। ऐसे में पेट्रोल की कीमतों में भारी गिरावट दिखेगी। वर्तमान में केंद्र पेट्रोल पर प्रति लीटर 32.80 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए का कर लेता है जिसे वह राज्य सरकार के साथ साझा नहीं करता। लेकिन जीएसटी के दायरे में आने के बाद केंद्र सरकार को मिलने वाले कर में कटौती भी योगी और उसे यह राशि राज्य के साथ आधा आधा बांटना भी होगा।

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