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शरीर के इस अंग में लगेगा वैक्सीन, बंदर-खरगोश पर टेस्ट हुआ सफल, अब इंसान की बारी

डेस्क: कोरोना वायरस (corona virus) भारत में अपने सबसे अधिक मारक स्थिति पर है. पूरी दुनिया में इसने तबाही मचा रखी है. इसे जड़ से खत्म करने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन और ड्रग्स बनाने करने में जुटे हुए हैं. भारत में भी विभिन्न दवा निर्माता कंपनियां इसकी जुगत में है.

बंदर-खरगोश पर टेस्ट हुआ सफल, अब इंसान की बारी

बताया जा रहा है कि दो कंपनियों का परीक्षण लगभग फाइनल स्टेज पर है. 15 अगस्त तक सरकार ने वैक्सीन के लॉन्च करने की भी घोषणा कर रखी है. इसी बीच खबर आ रही है कि वैक्सीन का ट्रायल पहले खरगोश और फिर बंदर पर कर लिया गया है, जो सफल रहा.

बंदर-खरगोश पर टेस्ट हुआ सफल, अब इंसान की बारी

अब बारी है इंसानों पर इस वैक्सीन के ट्रायल (Trial vaccine on humans) की. बहुत जल्द भारत में ह्यूमन ट्रायल भी पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि भारत में भी कई कंपनियां वैक्सीन के ट्रायल में लगी हुई हैं, लेकिन दो कंपनियों ने दावा किया है कि बहुत जल्द हम सारे परीक्षण पूरे कर वैक्सीन को मान्यता दिलवा देंगे और इसे कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा.

आपको बता दें कि पूरी दुनिया में डेढ़ सौ से अधिक कंपनियां वैक्सीन के निर्माण में लगी हुई हैं, जिनमें से 17 कंपनियां ऐसी हैं, जो वैक्सीन के ट्रायल के फाइनल स्टेज में पहुंच चुकी हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस वायरस का वैक्सीन बहुत जल्द बाजार में उपलब्ध हो जाएगा. इससे इस बीमारी का खतरा काफी कम हो जाएगा.
वैज्ञानिकों की मानें तो अगर वैक्सीन का ही मन ट्रायल सफल हो गया तो इस साल के अंत तक यह आम मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएगा.

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ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) का ह्यूमन ट्रायल सफल

इसी बीच एक खुशखबरी यह भी आई की ब्रिटेन की जानी-मानी यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सफल रहा, जोकि पूरी दुनिया के लिए एक शुभ संकेत है.

वहीं ब्राजील में भी किए गए ह्यूमन ट्रायल का नतीजा भी उम्दा रहा. बताया गया है कि इन ट्रायल्स में जिन वॉलिंटियर्स का इस्तेमाल किया गया था, यानी कि जिन इंसानी शरीर पर इस वैक्सीन का प्रयोग किया गया था. उनमें कोविड-19 से लड़ने की क्षमता काफी बढ़ी थी.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी अपने वैक्सीन ‘एजेडडी 1222’ के पूरी तरह सफल होने को लेकर काफी आश्वस्त है. उनका दावा है कि सितंबर तक वैक्सीन लोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस वैक्सीन का उत्पादन दवा बनानेवाली कंपनी एस्ट्रा जेनेस्सा करेगी.

आपको बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस परियोजना में भारतीय कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया भी शामिल है.

शरीर के इस अंग में लगेगा वैक्सीन

शरीर के इस अंग में लगेगा वैक्सीन

अब तक विभिन्न रोगों के वैक्सीन शरीर के विभिन्न अंगों के जरिए रक्त में प्रवेश करवाया जाता रहा है, लेकिन सुनने में आ रहा है कि भारत में विकसित हो रहा यह वैक्सीन नाक के जरिए दिया जाएगा. इसके पीछे वैज्ञानिकों का तर्क यह है कि नाक में स्थित म्यूकोसा के जरिए विभिन्न तरह के वायरस शरीर में प्रवेश करते हैं. म्यूकोसा गीला और फैलने वाला उत्तक है जो नाक के जरिए गले और फेफड़े तक जाता है. यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है.

आमतौर पर कोई भी वैक्सीन शरीर के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है जैसे हाथ का ऊपरी हिस्सा, लेकिन कोरोनावायरस की प्रवृत्ति दूसरे अन्य वायरस से अलग है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह वैक्सीन नाक के जरिए दिया जाए तो यह नाक के जरिए वायरस पर अटैक करने में ज्यादा कारगर सिद्ध होगा. वायरस के खात्मा में शीघ्र लाभ मिलेगा.

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