अभिव्यक्ति

इस स्वतंत्रता दिवस हुई पूर्णता की अनुभूति

भारतीय जनता जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करनेवाले प्रावधान के अंतिम संस्कार पर जश्न मनायी

sudha sharma
लेखिका – सुधा शर्मा

इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस नायाब रहा। इस दिन देश के पूर्ण रूप से स्वतंत्र होने की अनुभूति हुई। भारतीय जनता जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करनेवाले प्रावधान के अंतिम संस्कार पर जश्न मनायी। वहीं एक वर्ग उन छाती पीटते लोगों का भी है, जिनके लिए उल्लेखित प्रावधान रोजगार और राजनीति का मुख्य साधन रहा है । लगभग 70 वर्षों से कश्मीर के कुछ खास माने जाने वाले परिवार इस प्रावधान के तहत अपनी संपत्ति में दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ोतरी करते रहे हैं और आम कश्मीरी से साधारण जीवन जीने तक का अधिकार झपट लिया गया। 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्रशासित राज्य बनाने वाले प्रावधान के साथ पाकिस्तान क‍ो बल देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खात्मे ने पूरे देश में नये जोश और उमंग का संचार किया है।

अपने संपूर्ण जीवनकाल तक देश के टुकड़े करनेवाले इस प्रावधान के विरोध में स्वर बुलंद रखनेवाले आजाद भारत के क्रांतिकारी श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को आज जैसे पूरा देश नतमस्तक होकर सिर आंखों पर सजा रहा है। उनकी दूरदर्शी क्षमता ही थी कि उन्होंने अनुच्छेद 370 से होनेवाले नकारात्मक प्रभाव का सटीक आकलन कर लिया था। आज कश्मीर और देश के भिन्न-भिन्न भागों में पाकिस्तान द्वारा तैयार किये गये आतंकवादियों की संख्या में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण यह अनुच्छेद भी रहा है। कितने अचम्भे की बात है कि कश्मीर भारत का एक अंग होते हुए भी अगर कश्मीरी लड़की भारत के अन्य राज्यों के किसी भी युवक से विवाह करे तो उसका अपने कश्मीरी परिवार से सारा अधिकार खत्म हो जाता है।

जिन्हें भी इस अनुच्छेद के जनाजा उठने का दुख है उनसे बस इतना ही सवाल है कि इस अनुच्छेद के रहते हुए तो कश्मीर का इन 70 वर्षों में जो उत्थान होना चाहिए वो तो हुआ नहीं, अब एक बार इसके हटने से होनेवाले परिवर्तनों पर गौर फरमाया जाये। अगर इस नये तरीके से ही घाटी के लोगों का जीवन बेहतर हो सके तो इससे किसी को दिक्कत तो नहीं होनी चाहिए क्योंकि हम सभी का मुख्य उद्देश्य कश्मीरियों का विकास ही तो है।

कोई प्रावधान या कानून तभी सकारात्मक है जब वह मानव जीवन में सुरक्षा, खुशहाली और आत्मविश्वास का संचार करे।
एक परम सत्य को इस संदर्भ में उजागर करना अत्यंत आवश्यक है। अगर हम किसी परिवर्तन को लेकर सकारात्मक सोच अपनाते हैं और उसके अच्छे परिणाम के लिए कार्यरत रहते हैं तो उसका सुप्रभाव पड़ता है, परंतु अपने व्यक्तिगत खुन्नस के कारण किसी के अच्छे कार्यों को भी गलत दिखाने के लिए षडयंत्र रचते हैं तो उस अच्छे काम की सफलता में बाधा अवश्य आती है और बेवजह देरी होती है, इंतजार की घड़ियां बढ़ती रहती हैं, परंतु यहां सदैव एक बात ध्यान रखने की है : ‘सत्यमेव जयते’।

‘चारों तरफ षडयंत्रकारी करते प्रहार है,
चक्रव्यूह में फंसाने को खड़े कौरव अपार है ।
हर युद्ध में यहां जयचंदों की भरमार है,
पर, पृथ्वीराज इस बार अधिक समझदार है ।
यहां चाणक्य की नीति और चंद्रगुप्त का प्रहार है
सरकार आपकी जीत से चहुंओर जय-जयकार है । ’

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