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बोझा ढोनेवाला कुली बना आईएएस ऑफिसर, मजेदार है इनकी कहानी

डेस्क: मजबूत इरादे हों और दृढ़ इच्छा शक्ति को जीवन में कुछ पाना मुश्किल नहीं है। इसीलिए अगर इंसान ठान लें तो बहुत विपरीत परिस्थिति में भी मंजिल हासिल जरूर कर सकता है। आज हम एक ऐसे प्रेरणादायी व्यक्ति की कहानी बतायेंगे, जो गरीब परिवार में जन्मा, गरीबी में पला बढ़ा । वह रेलवे स्टेशन पर कुली बन कर दूसरों का बोझ उठाते उठाते आज आइएएस ऑफिसर बन चुका है ।

ठान लिया कि कुली बनकर नहीं रहना

वह स्टेशन पर यात्रियों के बोझ उठाकर अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी तो जुटा लेता था, लेकिन उसकी आंखों में बहुत बड़े सपने थे। वह जब भी स्टेशन पर किसी AC कमरे से सूट बूट पहने अफसर को देखता तो उसके मन में भी ज्वार सा कुछ कर दिखाने का सपना उछाल मारने लगता था। इसी तरह उसने यह ठान लिया कि कुली बनकर नहीं रहना।

एक दिन अफसर बनना उसने पता लगाना शुरू किया कि अफसर बनने के लिए क्या करना है? उसने जी जान से पूरी लगन लगा कर उसकी तैयारी शुरू कर दी, लेकिन ना उसके पास घर थाना किताबें ना कोचिंग जैसी सुविधाएं।

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ऑनलाइन उपलब्ध संसाधनों के जरिए पढ़ने लगा

गरीबी और लाचारी में भी उसने हौसला बनाए रखा। वह रेलवे का फ्री वाईफाई का इस्तेमाल करके ऑनलाइन उपलब्ध संसाधनों के जरिए पढ़ने लगा व कड़ी मेहनत वाला काम के बाद भी पढ़ाई करता रहा। फिर वह यूपीएससी जैसी परीक्षा को पास कर गया और आज वह एक बड़ा आईएएस अधिकारी है।

हमारे देश में लाखों युवाओं का सपना होता है कि वह सिविल सेवा की तैयारी के आइएएस आइपीएस अधिकारी बन जाये, लेकिन सारे संसाधन होने के बावजूद लाखों युवाओं को सफलता नहीं मिलती है।

इस परीक्षा की तैयारी के लिए लोग पानी की तरह पैसा भी बहा देते हैं, लेकिन सफलता कुछ लोगों को ही मिल पाती है। आज हम जिस आईएएस अफसर की बात कर रहे हैं, उनका सफर शुरू होता है, रेलवे स्टेशन से. केरल के एक रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले श्रीनाथ ने रेलवे स्टेशन से अपने सपनों की गाड़ी पकड़ी।

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परिवार में ​अकेले कमाने वाला था

श्रीनाथ मुन्नार के रहने वाले हैं, उन्होंने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए एर्नाकुलम में कुली के रूप में काम किया। वह परिवार में ​अकेले कमाने वाले हैं। साल 2018 में उन्होंने कड़ी मेहनत करने का फैसला किया, जिससे उनकी कम आय के कारण उनकी बेटी के भविष्य से कोई समझौता न हो।

जल्द ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के बारे में सोचा। परन्तु आर्थिक तंगी ने उन्हें परेशान किया. श्रीनाथ को पता था कि वह कोचिंग सेंटर की फीस नहीं दे पाएंगे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और KPSC की तैयारी करने का अलग ही तरीका निकाल डाला।

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