राजस्थान की राजनीति में कूदी सचिन पायलट की पत्नी सारा, कह दी बड़ी बात
डेस्क: कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सचिन पायलट को मनाने की निरंतर कोशिश कर रही है, इसकेक बावजूद वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ अपना बगावती तेवर बरकरार रखे हुए हैं.
सचिन पायलट के करीबी सूत्रों का मानना है कि अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में हैं. उनके पास 95 विधायकों का ही समर्थन है जबकि बहुमत के लिए 101 विधायकों का समर्थन चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट का भारतीय जनता पार्टी में जाने की कोई योजना नहीं है लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से निर्णय लिए जाने के बाद ही वे आगे कोई कदम उठा सकते हैं.
सचिन पायलट के बगावती तेवर की पुष्टि उनकी पत्नी सारा पायलट के ट्वीट से भी खुलकर सामने आयी हैं.
सारा पायलट ने कल और कई ट्वीट किए हैं, जो सभी राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक संकट को लेकर हैं. उन्होंने सचिन पायलट की एक प्रदर्शन की कुछ तस्वीरों के साथ ट्वीट किया ‘सहन करने की हिम्मत रखता हूं, तो तबाह करने का हौसला भी रखता हूं.’
सारा पायलट ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ” छह साल गांव ढाणी सड़कों पर चलने वालो के पैरों मे छाले पड़ गये. संघर्ष भरे जीवन पर पानी फेरकर जयचंद सत्ता हथियाने में लग गये।”
इसके अलावा उन्होंने कहा की बड़े बड़े जादूगरों के पसीने छूट जाते हैं जब हम दिल्ली का रुख करते हैं.
राजस्थान में सरकार बनने में समय से ही गहलोत और पायलट बीच खींचतान चल रही थी लेकिन रविवार को यह विवाद खुलकर सामने आ गया.
पायलट समर्थकों की ओर से दावा किया गया कि उनके पास 30 से अधिक विधायकों का समर्थन है और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है.
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभालते हुए पायलट और गहलोत से बात की है. बताया जा रहा है कि पायलट ने चार शर्तें रखी हैं जिनमें प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग की मांग की है. इसके अलावा पार्टी कुछ और वरिष्ठ नेताओं ने भी पायलट से संपर्क पर संकट दूर करने का प्रयास किया है.
कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने बताया कि पार्टी पायलट को हर हाल में मनाने की कोशिश करेगी. उनका मानना है कि हालांकि राज्य में फिलहाल संकट टलता हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन गहलोत आगे की राह आसान नहीं रहने वाली है