कांग्रेस मुख्यालय से पायलट के पोस्टर हटाए गए, आज कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं
डेस्क: राजस्थान में पौने दो साल पहले कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री बनने में नाकाम रहे सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा है. कहा जाता है कि राजस्थान में सचिन पायलट के मेहनत के वजह से ही कांग्रेस को बहुमत मिली थी. चुनाव से पहले सचिन पायलट गांव-गांव यात्रा कर कांग्रेस के प्रति माहौल बना पाए थे.
राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह व खाघ एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा सहित डेढ़ दर्जन विधायकों को पायलट ने मार्च के पहले सप्ताह में ही कांग्रेस से अलग होने के संकेत दे दिए थे.
मई माह में भी पायलट ने अपने समर्थकों के साथ चर्चा कर सीएम गहलोत द्वारा उन्हे नजरअंदाज करने और आलाकमान की ओर से इस पर कोई कदम नहीं उठाने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब बहुत हो चुका, वे ज्यादा अपमान नहीं सह सकते. कांग्रेस से अलग होकर नया राजनीतिक मोर्चा बनाने की रणनीति में जुटे पायलट को 10 जुलाई को उस समय अलग राजनीतिक कदम उठाने का मौका मिल गया, जब एसटीएफ ने उन्हे विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर नोटिस देकर बयान के लिए बुलाया.
इसी मुद्दे को लेकर अपने चार समर्थक मंत्रियों सहित डेढ़ दर्जन विधायकों से चर्चा कर पायलट 11 जुलाई की रात दिल्ली पहुंच गए. उनके समर्थक विधायक भी एनसीआर में एकजुट हो गए. पायलट खेमे की रणनीति रमेश मीणा संभाल रहे हैं. पिछले तीन माह से वॉट्सएप कॉलिंग के माध्यम से ही पायलट अपने समर्थकों के संपर्क में थे. गहलोत सरकार द्वारा टेलिफोन टेप किए जाने की बात सामने आने के बाद उनके समर्थक भी अब तक वॉट्सएप से ही जुड़े हुए हैं.
सूत्रों की माने तो सचिन पायलट आज कांग्रेस से अलग हो सकते, पर ये साफ नहीं हो पाया है कि वे अपना दल बनाएंगे या फिर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे, कहा जा रहा है कि करीब 20 कांग्रेस विधायक पायलट के साथ है, वैसे कल खबर आयी थी कि 30 विधायक का समर्थन पायलट को प्राप्त है।
पायलट के अलग रास्ते अपनाने का निर्णय लिया तो सोमवार दोपहर में जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से पायलट के होर्डिंग्स एवं पोस्टर हटा दिए गए. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से पायलट के होर्डिंग्स और पोस्टर लगे हुए थे, लेकिन अब इन्हे हटा दिया गया. सिविल लाइंस स्थित पायलट के सरकारी आवास के बाहर लगे उन्हे पोस्टर और होर्डिंग्स भी हटा दिए गए. जिलों में भी ऐसा ही किया गया है.