कौन है सुखविंदर सिंह सुक्खू जो संभालेंगे हिमाचल के मुख्यमंत्री का पद?
डेस्क: 2022 का हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। कांग्रेस की जीत के साथ ही पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए गुटबाजी शुरू हो गई।
लंबी जद्दोजहद के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस के आलाकमान ने पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई। वहीं उपमुख्यमंत्री के लिए मुकेश अग्रिहोत्री का नाम आगे किया।
गौरतलब है कि बीते 2 दिनों से हिमाचल के अगले मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बरकरार थी जिस पर से अब पर्दा हट गया है। मुख्यमंत्री पद के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लगने के साथ ही सुक्खू ने दावा किया है कि बीजेपी के कई विधायक दाल बदल कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 3 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन उनके सरकार के पास रहेगा।
कौन है सुखविंदर सिंह सुक्खू?
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नादौन ब्लॉक के सेरा गांव में 27 मार्च 1964 को हुआ था। वह शुरू से ही इसी क्षेत्र से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
कांग्रेस के हाईकमान ने खुद मुख्यमंत्री पद के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई है। वह हिमाचल कांग्रेस कैंपेन कमिटी के प्रमुख हैं। वे नादौन से चौथी बार विधायक चुने गए हैं। इस बार उन्होंने नादौन सीट से बीजेपी के विजय अग्निहोत्री को 3363 वोटों के अंतर से हराया।
मिली जानकारी के अनुसार सुखविंदर सिंह ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट के बाद एलएलबी की पढ़ाई की है। उन्होंने शिमला के सरकारी कॉलेज संजौली से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी।
एनएसयूआई से मुख्यमंत्री तक का सफर
सुखविंदर ने कांग्रेस के युवा संगठन एनएसयूआई से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वह संजौली कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव रहे। इसके बाद वह स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन में महासचिव चुने गए एवं उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
सुखविंदर सिंह साल 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। साल 1995 में वह युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बनाए गए। 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे इसके साथ ही नगर निगम शिमला के दो बार पार्षद भी चुने गए।
सुखविंदर सिंह साल 2008 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने एवं जनवरी 2013 से जनवरी 2019 प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम किया। अप्रैल 2022 में वह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट वितरण कमेटी के सदस्य बने बनाए गए।
सुखविंदर सिंह सुक्खू साल 2003, 2007, 2017 और अब 2022 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए हैं। अब वह हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में हिमाचल की सत्ता संभालेंगे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू का परिवार
सुक्खू के पिता रसील सिंह हिमाचल परिवहन निगम में बस ड्राइवर थे। जबकि उनकी माता संसार देवी एक गृहणी थी। अपने चार भाइयों और बहनों में सुखविंदर दूसरे भाई हैं। सुखविंदर के बड़े भाई सेना से रिटायर्ड हैं और उनकी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। सुखविंदर की शादी कमलेश ठाकुर से हुई और उनकी दो बेटियां भी हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य
सुखविंदर सिंह सुक्खू एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए नादौन निर्वाचन क्षेत्र से सीट जीती है। 2017 में, अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान सुक्खू के बारे में बात की और कहा कि कांग्रेस पार्टी एक परिवार द्वारा चलाई जा रही पार्टी है और इसमें पहले से मौजूद उम्मीदवारों को छोड़कर किसी और को आगे आने का मौका नहीं मिलेगा। अब 2022 में उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया है।
एक साक्षात्कार में, सुक्खू ने कहा कि उनके लिए राजनीति में प्रवेश करना उनके लिए कठिन था क्योंकि वह एक गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा, “हां, राजनीति में टिके रहने के लिए मुझे कदम-कदम पर संघर्ष करना पड़ा। अभिजात वर्ग और राजनीतिक समर्थन वाले लोग चुनावी राजनीति में भी आसानी से अपना रास्ता खोज लेते हैं। लेकिन संगठन के प्रति कड़ी मेहनत और निष्ठा ने मुझे रंग दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आम कार्यकर्ताओं को आगे लाना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने मुझे शीर्ष पद के लिए चुना। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी मुझे 2013 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किया गया था।”
2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि हिंदू बहुल राज्य में कांग्रेस की जीत होगी। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में बात की और कहा, “कांग्रेस पार्टी एक ऐसे स्थान पर सरकार बनाने जा रही है जो एक हिंदू बहुल राज्य है। लोगों ने भाजपा की विचारधारा को खारिज कर दिया है। प्रियंका गांधी की खास रणनीति के चलते बीजेपी चुनाव हार गई।”