राफेल पर कांग्रेस की राजनीति तेज, दिग्गी ने कहा- कीमत बताया तो सार्वजिनक होगी चौकीदार की चोरी
डेस्क: एक ओर रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राफेल के भारतीय बेड़ा में शामिल होने से देश अब पड़ोसी चीन और पाकिस्तान को किसी भी वक्त मुंहतोड़ जवाब दे सकता है. लेकिन विपक्ष में बैठी कांग्रेस अपने सियासी जमीन पाने को देश की सुरक्षा पर भी सवाल उठाने से नहीं चुक रही है. राफेल विमानों पर कांग्रेस ने एक बार फिर सियासत शुरू कर दी है और इन विमानों की कीमतों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार सवाल दागे जा रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राफेल की कीमत को लेकर मोदी सरकार से कई सवाल किए.
दिग्गी ने ट्वीट कर दागे कई सावल
इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हमलावर रही है. वहीं, दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि एक राफेल की कीमत कांग्रेस सरकार में 743 करोड़ रुपये तय हुई थी. लेकिन ‘चौकीदार’ महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मांग करने के बावजूद आज तक राफेल की कीमत बताने से बचते रहे हैं, क्योंकि अगर वे कीमत बताएंगे तो चौकीदार की चोरी उजागर हो जाएगी.
कहा- बिना कैबिनेट मंजूरी के हुआ करार
दिग्विजय ने आगे लिखा कि आखिर राफेल फाइटर प्लेन आ ही गया. कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने 2012 में 126 राफेल खरीदने का फैसला किया था. इनमें से 18 को छोड़कर बाकी का निर्माण भारत सरकार की कंपनी एचएएल में होना था. यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था. एक राफेल की कीमत 743 करोड़ तय हुई थी. वहीं, सरकार पर निशाना साधते हुए दिग्विजय सिंह ने लिखा कि एनडीए सरकार आने के बाद मोदी ने बिना रक्षा, वित्त मंत्रालय और कैबिनेट की मंजूरी के ही फ्रांस से नया समझौता कर लिया. यहां तक की एचएएल का हक मारकर निजी कंपनी को समझौते के बाद इसका काम सौंप दिया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी कर 126 राफेल की जगह 36 राफेल खरीदने का निर्णय लिया गया.
पीएम मोदी ने किया राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता
उन्होंने आगे लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का आंकलन कर 126 राफेल का समझौता किया गया था. लेकिन अब मोदी सरकार ने 126 की बजाय 36 राफेल खरीदने का फैसला क्यों किया. वहीं, इस सवाल का कोई जवाब भी नहीं दिया जाता है. क्या मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया? दिग्विजय ने कहा कि हम सवालों के उत्तर मांगते हैं तो ट्रोल आर्मी और उनके कठपुतली मीडिया एंकर हमें राष्ट्रद्रोही करार देने लगते हैं. क्या प्रजातंत्र में विपक्ष को प्रश्न पूछने का भी अब अधिकार नहीं है?
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