प्रशांत किशोर ने बताया आखिर किन कारणों से हारी भाजपा, प्रधानमंत्री की लोकप्रियता भी नहीं जीता सकी
डेस्क: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद रणनीति कार प्रशांत किशोर ने सन्यास लेने की घोषणा की है। उन्होंने यह घोषणा किया कि अब वह चुनाव प्रबंधन का कार्य नहीं करेंगे। उन्होंने दावा किया था कि भाजपा बंगाल चुनाव में 100 का आंकड़ा पार नहीं कर सकेगी और अगर ऐसा होता है तो वे चुनाव प्रबंधन के कार्य से संन्यास ले लेंगे।
हालांकि भाजपा 100 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर सकी पर फिर भी प्रशांत किशोर ने अपने काम से सन्यास लेने की इच्छा जाहिर की। उनका मानना है कि IPAC में उनसे बेहतर कई लोग हैं जो इस काम को और अच्छे से कर सकते हैं।
यह घोषणा करने के दौरान उन्होंने भाजपा के हार के कारणों को भी बताया। उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी लोकप्रिय हैं। लेकिन उनकी लोकप्रियता भी इस चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं दिला सकी।
प्रशांत का मानना है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता के कारण ही भाजपा को बंगाल में 37 से 38 फ़ीसदी वोट मिले हैं। यदि प्रधानमंत्री का लोकप्रिय चेहरा नहीं होता तो वह भी नहीं मिलते।
रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मानें तो भाजपा को जीतने के लिए 45% वोटों की जरूरत थी। लेकिन उनकी गलत रणनीति के कारण उन्हें 45% वोट मिल नहीं सके।
प्रधानमंत्री की लोकप्रियता भी कोई काम नहीं आई
प्रशांत किशोर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं और उनकी लोकप्रियता का फायदा भाजपा को मिलता है। मोदीजी की लोकप्रियता ही एकमात्र वजह थी कि भाजपा को बंगाल में 77 सीट मिले। लेकिन इतना काफी नहीं था।
किशोर के अनुसार केवल लोकप्रिय होने का यह अर्थ नहीं कि आप जीत सकते हैं। जीतने के लिए मैनेजमेंट की भी आवश्यकता होती है। उनका मानना है कि भाजपा 2019 के चुनाव मॉडल का ही प्रयोग इस विधानसभा चुनाव में भी कर रही थी इसी वजह से वो हारी।
इतना कहने के बाद आगे प्रशांत किशोर ने राजनीति में आने के संकेत दिए। हालांकि खुलकर इस बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। लेकिन उनके हाव-भाव से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका मन अब रणनीति ना बनाकर राजनीति का हिस्सा होने का है।