किसी की जेल में तो किसी की अस्पताल में बीती रात, नारदा केस में गिरफ्तार नेताओं का रात भर चला ड्रामा
डेस्क: 17 मई के दिन नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई द्वारा तृणमूल के 4 नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सुनील वरसोली सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। जहां उन्हें ₹50000 के जुर्माने के साथ अंतरिम जमानत दे दी गई।
कोर्ट का यह फैसला सीबीआई को पसंद नहीं आया। अतः सीबीआई इस मामले को देर रात कोलकाता हाई कोर्ट लेकर पहुंच गई। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में चारों नेताओं के जमानत को रद्द कर दिया गया तथा 3 दिन के न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद चारों नेताओं को रात के 1:30 बजे प्रेसीडेंसी जेल ले जाया गया। 19 मई बुधवार को अगली सुनवाई होने तक उन्हें इसी जेल में रखा जाना था।
लेकिन 4 बजते ही मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को सांस लेने में तकलीफ होने लगी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। साथ ही सुब्रत मुखर्जी को भी मेडिकल जांच के लिए एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों द्वारा अस्पताल में जांच के बाद चारों नेताओं को वापस जेल ले जाया गया। बाकी का समय उन्हें जेल में ही बिताना पड़ा।
बता दें कि 2016 में हुए नारा स्टिंग ऑपरेशन में इन चारों को मुख्य आरोपी पाया गया था। इसके अलावा भी तृणमूल के कई अन्य नेता इस मामले में शामिल पाए गए थे।
गिरफ्तार होने के बाद मदन मित्रा ने सवाल किया “शुभेंदु अधिकारी मुकुल राय के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया है? स्टिंग ऑपरेशन में दोनों नेता भी पकड़े गए थे, तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?”
वहीं शोभन चटर्जी ने कहा, “मैं कोई डकैत नहीं हूं। मैंने कुछ भी ऐसा गलत नहीं किया जिसके कारण सीबीआई मुझे गिरफ्तार करने के लिए मेरे बेडरूम में आ जाए।”
बता दें कि 2021 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करवाने के बाद जब तीसरी ममता बनर्जी की सरकार बनी, उसके ही कुछ समय बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने स्टिंग ऑपरेशन के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी।