यूपी में प्रियंका की पोस्टर लॉन्चिंग फेल, महिलाओं की भागीदारी की खुली पोल
डेस्क: जब किसी नई फिल्म की शूटिंग शुरू होती है तो उसके प्रचार के लिए सबसे पहले एक पोस्टर जारी किया जाता है, बिल्कुल उसी अंदाज में आज कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश चुनाव में अपने प्रचार की शुरुआत पोस्टर के जरिए की है और इस पोस्टर में लिखे स्लोगन में ही उनकी पूरी रणनीति छिपी हुई है। पोस्टर पर लिखा है ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’। लेकिन इस पोस्टर लॉन्चिंग कार्यक्रम में ही प्रियंका ग़ांधी वाड्रा के मंसूबे की पोल खुल गयी।
दरअसल प्रियंका यह दिखाना चाहती हैं कि वह महिलाओं को आगे लाना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में अपने आस पास दो महिलाओं को बिठा रखा था, ताकि कैमरा ज़ूम करके जब मीडियावाले दिखाएँगे तो 3 महिलाएं दिखेंगी, लेकिन उसी मीडिया के कैमरे में कैद तस्वीर ने उनकी चालाकी का पर्दाफाश कर दिया। दरअसल प्रियंका गांधी के साथ उस मंच पर कुल 10 लोग थे, जिनमें उनके दोनों बगल की महिलाओं को छोड़ बाकी सातों नेता पुरूष ही थे।
तस्वीर देख आप समझ जाएंगे कि हकीकत क्या है और हकीकत इस पोस्टर से कैसे अलग है। उनके साथ मंच पर कुल मिला कर 10 लोग बैठे हैं और इन 10 में से सात पुरुष थे, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा को मिला कर इस मंच पर सिर्फ तीन महिलाएं थीं। यानी मंच पर 30% महिलाएं थीं और 70% पुरुष। यह हमारे देश की राजनीति की असली तस्वीर है, जिसे शायद कोई बदल नहीं पाया और इसे बदलने में अभी बहुत समय लगेगा।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने चुनावी स्लोगन तो बहुत शानदार दिया है, लेकिन वास्तविकता आप इसी तस्वीर से समझ सकते हैं । असल में एक चुनावी पोस्टर और हकीकत में कितना अंतर होता है, यह तस्वीर आपको यह बता देगी । सोचिए जो पार्टी लड़कियों और महिलाओं के नाम पर अपना चुनावी कैंपेन लॉन्च कर रही है, उसमें भी सबसे ज्यादा भागीदारी पुरुषों की है।
हो सकता है प्रियंका गांधी वाड्रा को यह आइडिया अगर कोई पहले दे देता तो वह इस गलती को ठीक कर लेती। हम यह भी नहीं कह सकते कि वह इसे गलत मानती भी है या नहीं, लेकिन अगर कोई पहले बता देता तो वह यह कर सकती थी कि मंच पर 10 के 10 महिलाओं को अपने साथ बैठा देती और फिर चुनाव की अपनी रणनीति का ऐलान करती और तब यह तस्वीर व आकर्षक लगती।
वाड्रा के साथ मंच पर जो दो महिला नेता उनके आसपास आपको दिख रही हैं, उनके परिवार की जड़ें भी असल में राजनीति में ही रही है। इनमें एक का नाम है सुप्रिया सिंह है, जिनके पिता हर्षवर्धन सिंह उत्तर प्रदेश के महाराजगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस के दो बार सांसद रह चुके हैं और दूसरी नेता है आराधना मिश्रा, जो कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के बड़े नेता प्रमोद तिवारी की बेटी है। यानी जो महिलाएं साथ में बैठी हैं, वह राजनीतिक घराने की हैं।
हम इन महिलाओं को किसी तरह का ठेस नहीं पहुंचाना चाहते और हम ना ही उनकी मेहनत पर शक कर रहे हैं, लेकिन आपको इतना बताना चाहते हैं कि यह दोनों महिलाएं के भी असल में इनके पिता नेता हैं और उनकी वजह से ही शायद इन्हें राजनीति में आने में काफी मदद मिली।