अश्विनी वैष्णव के लिए आपदा प्रबंधन नई बात नहीं, बालासोर से है पुराना संबंध, पहले भी 1999 में…
डेस्क: 2 जून की देर शाम, जब ओडिशा के बालासोर में घातक रेल दुर्घटना हुई, जनता को इसका अंदाजा नहीं था कि इसका प्रभाव कितना विनाशकारी होगा। हादसे के कुछ घंटों के भीतर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दुर्घटनास्थल पर पहुँच चुके थे। दुर्घटना के कारण को समझते हुए और बचाव और राहत कार्यों की निगरानी करते हुए उन्होंने दुर्घटना स्थल का दौरा किया।
रेल मंत्री ने घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता मुहैया करवाना सुनिश्चित किया। सबसे अधिक काम ट्रेनों की आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। रेलवे कर्मचारियों और रेल मंत्री के प्रयासों से मात्र 50 घंटे के भीतर ही लाइन फिर से चालु हो गयी।
बालासोर से है पुराना संबंध
लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एकमात्र लक्ष्य केवल लाइन को वापस चालू करना नहीं था। लेकिन वह यह भी सुनिश्चित कर रहे थे कि घायलों के इलाज में कोई समस्या न हो। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को कटक के अस्पताल में रखा गया है, जबकि डीजी स्वास्थ्य को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया है ताकि इलाज करा रहे यात्रियों को अधिकतम राहत सुनिश्चित की जा सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “निर्देश हमारे लिए बहुत स्पष्ट थे कि न केवल जमीन पर बचाव और राहत अभियान महत्वपूर्ण है बल्कि अस्पताल में उन लोगों का इलाज भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की निगरानी के लिए वहां भेजा गया था।”
बता दें कि वर्तमान रेल मंत्री पहले उड़ीसा के बालासोर जिले के कलेक्टर भी रह चुके हैं और 1999 में बालासोर जिले के कलेक्टर के रूप में अश्विनी वैष्णव ने एक महाचक्रवात संकट को भी संभाला था। इससे हम समझ सकते हैं कि एक अनुभवी नौकरशाह से राजनेता बने, भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए आपदा प्रबंधन कोई नई बात नहीं है।