क्या हुआ था नारदा स्टिंग ऑपरेशन में, विस्तार से जानिए
डेस्क: 2016 में विधानसभा चुनाव के पहले नारद न्यूज़ की तरफ से एक टेप रिलीज किया गया था। रिलीज करने के बाद ही राजनैतिक गलियारों में काफी हलचल देखने को मिली थी।
दरअसल, दिल्ली से आए एक रिपोर्टर मैथ्यू सैमुअल ने खुद को एक बिजनेसमैन बता कर मूल के कई नेताओं और मंत्रियों के साथ एक मीटिंग की। सैमुअल के साथ उनके एक सहयोगी एंजेल अब्राहम भी कोलकाता आए हुए थे।
सैमुअल ने एक काल्पनिक कंपनी बनाई जिसका नाम उन्होंने इंपैक्स कंसल्टेंसी सलूशन रखा। कोलकाता आकर उन्होंने टीएमसी के सांसदों मंत्रियों और नेताओं से संपर्क किया और उनसे कुछ मदद मांगी।
कल द्वारा रिकॉर्ड किए गए टेप में उस समय के टीएमसी सांसद मुकुल राय, सौगत राय, काकोली घोष दस्तीदार, शोभन चटर्जी, प्रसून बनर्जी, शुभेंदु अधिकारी, अपरूपा पोद्दार और सुल्तान अहमद तथा राज्य के मंत्री मदन मित्रा, सुब्रतो मुखर्जी, फिरहाद हकीम और इकबाल अहमद को नकदी रूप में रिश्वत लेते देखा गया।
इसी के साथ आईपीएस एम एच अहमद मिर्जा भी सैमुअल से पैसे लेते नजर आए। पूर्व तृणमूल नेता शंकुदेब पांडा को भी सैमुअल से उनकी कंपनी में शेयर मांगते देखा गया।
हालांकि रिकॉर्डिंग में टीएमसी से भाजपा में शामिल हुए वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय को नकद लेते नहीं देखा गया था। उस समय के तृणमूल के सांसद शुभेंदु अधिकारी भी आज भाजपा के राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
शोभन चटर्जी ने भी 2019 में तृणमूल छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में टिकट ना मिलने की वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी। पूर्व टीएमसी नेता शंकुदेब पांडा भी अभी बीजेपी के साथ हैं।
उक्त मामले को लेकर 17 मार्च 2017 को कोलकाता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए। जरूरत पड़ने पर नारदा स्टिंग ऑपरेशन में शामिल लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए।
2017 को सीबीआई द्वारा नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में शामिल भारत में मूल नेताओं के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई। इन सभी पर आईपीएस की धारा 120 बी, धारा 13 (2), 13 (1 डी) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।
2021 के विधानसभा चुनाव के बाद 9 मई के दिन सोमवार के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी सीबीआई के अनुरोध पर सुब्रत मुखर्जी श्राद्ध की मदन मित्रा और शोभन चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
इसके बाद 17 मई की सुबह सीबीआई ने इन चारों नेताओं के घर छापेमारी की तथा चारों नेताओं को उनके घर से उठा लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें निजाम पैलेस में सीबीआई हेड क्वार्टर ले जाया गया। जहां कई घंटों तक से पूछताछ की गई तथा सीबीआई कोर्ट में वर्चुअली पेश किया गया।
कोर्ट द्वारा इन नेताओं को अंतरिम जमानत दिए जाने पर सीबीआई ने यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट ले जाना उचित समझा। कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इन चारों नेताओं के जमानत को रद्द कर दिया गया।
बुधवार तक के लिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हाई कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई की अगली तारीख 19 मई बुधवार रखी गई। तब तक के लिए इन चारों नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।