साहित्यिक संस्था ‘क्यूँकि’ द्वारा कविताओं पर परिचर्चा
बड़ाबाजार लाइब्रेरी में डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में कविताओं पर विमर्श' नाम से एक परिचर्चा आयोजित की
डिजिटल डेस्क: साहित्यिक संस्था ‘क्यूँकि’ ने बड़ाबाजार लाइब्रेरी में डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में कविताओं पर विमर्श’ नाम से एक परिचर्चा आयोजित की। इस परिचर्चा में अपना अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. गिरधर राय ने कहा कि कविता में असीम शक्ति होती है। कविताएँ स्वतः अपने पाठक के साथ एक गहरा नाता जोड़ लेती हैं और एक अच्छी कविता वह कविता है जिसे पाठक कई बार पढ़ना चाहे। अपनी बातों के समर्थन में डॉ०राय ने कवि छविनाथ मिश्र जी तथा अरुण प्रकाश अवस्थी जी की कविता को उद्धृत किया।
ग़ज़लकार रामनाथ बेख़बर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोई भी रचना धैर्य की धीमी आँच पर पककर ही परिपक्व होती है और अच्छी रचनाओं में भाव,भाषा व शिल्प की त्रिवेणी प्रवाहित होती है।अतः रचनाकारों को भाव के साथ-साथ भाषा व शिल्प पर भी अपनी मजबूत पकड़ बनानी चाहिए।
युवा कवयित्री नीतू सिंह भदौरिया ने कहा कि हम जिस समाज में रहते हैं उससे हमारा गहरा सरोकार होता है। अतः उस समाज का चित्रण हमारी रचनाओं में होना ही चाहिए। वह रचनाधर्मियों से संवाद के क्रम में बोलीं कि आप जब समाज़ के लिए लिखते हैं तो आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
कवयित्री अनु नेवटिया ने कहा कि भाव के अभाव में कविता नहीं हो सकती।भाषा व शिल्प को तो साहित्य-साधक परिश्रम के द्वारा साध ही लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कविता कैसे मर सकती है जब आप जैसे नौजवान उसे घुट्टी पिला रहे हैं ।
गीतकार चंद्रिका प्रसाद पांडेय अनुरागी ने नए रचनाकारों को लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप लोगों को अपने बीच देखकर हम पुराने रचनाकारों को यह सुखद अनुभूति होती है कि हमारा वंश बढ़ रहा है और आप लोग लिखिए और बस लिखते रहिये। यदि आपके लेखन में दम होगा तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
कवि रमाकांत सिन्हा ने कविता को ब्रह्म बताते हुए कहा कि कविता मानव हृदय को परिष्कृत कर उसे निर्मल बनाती है। मंचासीन कवयित्री निशा कोठारी ने भी कविता के सम्बंध में अपने अनुभव को साझा करते हुए यह बताया कि काव्य सृजन सहज कार्य नहीं है और यह जरूरी नहीं कि हर कविता काव्य-कला की कसौटी पर खरी उतरे। फिर भी यदि काव्य सर्जक के मन में सृजन के प्रति लगन हो तो वह बेहतरीन सृजन कर सकता है। इस कार्यक्रम का संचालन दीपक सिंह ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मनीष झा, दीपक साव, श्रेयांश, साहिल गिरी, मोहित किराडू, अनुराधा सिंह सहित अन्य का विशेष योगदान रहा।