दिलीप घोष के बयान पर तृणमूल का हमला, कहा- देर से ही सही लेकिन बात समझ में आ गई
डेस्क: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले कई नेताओं के अन्य पार्टियों से भाजपा में शामिल होने का सिलसिला काफी तेज हो गया था। लेकिन चुनाव के बाद एक के बाद एक करके कई नेता भाजपा को छोड़ अपनी-अपनी पार्टियों में वापस जाने की फिराक में हैं।
कई नेता तो वापस जा भी चुके हैं, तो कई नेता ऐसे हैं जो इशारों में ही भाजपा को छोड़ पुनः पुराने दल में योगदान देने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं। कुछ समय पहले ही 2017 में भाजपा से जुड़ने वाले तृणमूल के नेता मुकुल रॉय ने भी अपने बेटे के साथ घर वापसी की। कई और नेता भी हैं जो पुनः तृणमूल में जाने का मन बना रहे हैं।
कई और नेता भी छोड़ सकते हैं भाजपा का दामन?
माना जा रहा है कि जल्द ही राजीव बनर्जी और सब्यसाची दत्ता भी भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं। इस विषय में भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में योगदान देने वाले सभी नए नेता पार्टी के साथ तालमेल न बैठा पाने की वजह से वापस जा रहे हैं।
दिलीप घोष ने कहा था कि भाजपा में शामिल होने वाले नए नेताओं को पार्टी के नियमों के साथ तालमेल बैठाने में समस्या हो रही है। लेकिन पुराने नेताओं के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है। दिलीप घोष के इस बयान के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने उन पर हमला करते हुए कहा कि उनको आखिरकार बात समझ में आ ही गई।
कुणाल घोष का दिलीप घोष पर हमला
कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा को दूसरे दलों को कमजोर करने के लिए उनके विधायकों को डराकर तथा लालच देकर खुद में शामिल करने के नतीजों के बारे में पहले ही सोच लेना चाहिए था। साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को देर से ही सही लेकिन बात समझ में आ गई।
उन्होंने दिलीप घोष पर तंज कसते हुए कहा कि किसी दिन उन्हें भी अपनी पार्टी में घुटन महसूस हो सकती है। ऐसे में शायद उन्हें भी ऑक्सीजन (दल बदलने) की जरुरत पड़े।