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बंगाल की “दीदी” अब बनी चेन्नई की “अम्मा”, ऐसे कर रही है लोकसभा चुनाव की तैयारी

 

डेस्क: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल करने के बाद ममता बनर्जी का अगला टारगेट 2024 में आने वाला लोकसभा चुनाव है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ममता बनर्जी फिर से राज्य स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करना चाहती ।

बता दें कि एक समय ऐसा था जब तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री हुआ करती थी। वह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रह चुकी हैं। 1999 में कांग्रेस से अलग होकर जब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का गठन किया, तब वह एनडीए में शामिल हो गई जिसके बाद उन्हें केंद्रीय रेल मंत्री भी बनाया गया।

ऐसे बनीं थी मुख्यमंत्री

तृणमूल कांग्रेस के गठन के कुछ समय बाद ही यह उस समय के सत्तारूढ़ पार्टी वामदल के विपक्ष के रूप में उभर गई। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस को उस चुनाव में जीत मिलने के बाद ममता बनर्जी फिर एक बार केंद्रीय रेल मंत्री बनी।

इसके बाद एक के बाद एक कई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव तृणमूल कांग्रेस ने जीते। जिस वजह से ममता बनर्जी राज्य के मुख्यमंत्री का चेहरा बनकर उभरी। 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 34 साल के वामदल के शासन को तोड़ते हुए बंगाल में सरकार का गठन किया और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं।

2016 के विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस ने बिना किसी परेशानी के जीत हासिल की। जिसके बाद ममता बनर्जी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में राज्य में तेज होती बीजेपी की लहर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि इस बार बीजेपी शासन में आ सकती है। लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सहायता से एक बार फिर ममता बनर्जी ही राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।

अब बनना चाहती है प्रधानमंत्री

अपने राजनीतिक जीवन में ममता बनर्जी ने कई बार विरोध प्रदर्शन किए जिनमें 2006 का सिंगुर में टाटा मोटर्स के खिलाफ किया गया विरोध प्रदर्शन और 2007 का नंदीग्राम में किया गया विरोध प्रदर्शन प्रमुख है। लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अब ममता बनर्जी के समर्थक चाहते हैं कि वह प्रधानमंत्री बनकर देश को संभाले।

ऐसा कहना गलत नहीं होगा ममता बनर्जी खुद भी प्रधानमंत्री बनना चाहती है। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस तरह-तरह के रणनीतियों पर काम करना शुरू कर चुकी है। इनमें सबसे प्रमुख राज्य की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति का एक बार फिर से हिस्सा बनना है।

अलग-अलग राज्यों में किया जा रहा प्रचार

लोकसभा चुनाव के लिए सबसे प्रमुख अलग राज्यों में अपना पहुंच बनाना है जिसे ममता बनर्जी अच्छी तरह जानती है। इसीलिए बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली जाकर अलग-अलग दलों के नेताओं के साथ मुलाकात कर सकती हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष इंदिरा गांधी से भी ममता बनर्जी मुलाकात कर सकती हैं।

बता दें कि प्रतिवर्ष 21 जुलाई के दिन तृणमूल कांग्रेस द्वारा शहीद दिवस का पालन किया जाता है। लेकिन इस बार ममता बनर्जी के भाषण को अलग-अलग भाषाओं में विभिन्न राज्यों में प्रसारित किया जाएगा। इन राज्यों में तमिलनाडु दिल्ली पंजाब त्रिपुरा गुजरात उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।

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चेन्नई में ममता को बताया जा रहा है “अम्मा”

दक्षिण भारत में आज भी जयललिता को ही “अम्मा” कहकर पुकारा जाता है। बताया जाता है जयललिता वहां की जनता के दिल के काफी करीब थी। ऐसे में ममता बनर्जी को वहां की जनता तक पहुंचाने के लिए “अम्मा” कह कर उनका प्रचार किया जा रहा है। अलग-अलग जगहों पर पोस्टर लगाए जा रहे हैं तथा दीवारों पर रंगाई भी की जा रही है जिसमें ममता बनर्जी को “अम्मा” बताया जा रहा है। गौरतलब है कि बंगाल की “दीदी” और चेन्नई में “अम्मा” बन गई हैं।

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यह साफ है कि ममता बनर्जी का अगला टारगेट 2024 का लोकसभा चुनाव है। जिसमें वह खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर देख रही हैं। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देकर हराने के कारण कई विपक्ष के नेता भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी को ही ताकतवर चेहरा मान रहे हैं।

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