पीएम के प्रति केजरीवाल के इस रवैये पर मचा घमासान, लगा 25,000 का जुर्माना
डेस्क: गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का विवरण प्रकट करने का निर्देश देने वाले एक आदेश को आज गुजरात उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने यह आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इस जानकारी की कोई आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की विवरणों के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। नयायालय के आदेश के अनुसार अरविन्द केजरीवाल को चार सप्ताह के भीतर गुजरात राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के पास जुर्माने की राशि जमा करना होगा।
अरविन्द केजरीवाल ने दी अपनी प्रतिक्रिया
आदेश और जुर्माने पर प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने ट्वीट किया, “क्या देश को यह जानने का अधिकार नहीं है कि उनके प्रधानमंत्री कितने पढ़े-लिखे हैं?” उन्होंने अपने लिखा कि एक अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा पीएम देश के लिए खतरनाक है।
2016 में, अरविन्द केजरीवाल के सूचना के अधिकार (आरटीआई) अनुरोध का जवाब देते हुए, केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय को पीएम मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
गुजरात विश्वविद्यालय ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने 1978 में गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातक किया और 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढाई पूरी की।
सॉलिसिटर जनरल ने की केजरीवाल की खिंचाई
पिछले महीने, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि विश्वविद्यालय को इस जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि “लोकतंत्र में, कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि पद पर आसीन व्यक्ति डॉक्टरेट है या अनपढ़। साथ ही, इस मुद्दे में कोई जनहित शामिल नहीं है। यहां तक कि उनकी निजता भी प्रभावित होती है।”
सॉलिसिटर जनरल ने अरविन्द आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी सार्वजनिक गतिविधि से संबंधित होनी चाहिए। वे यह नहीं पूछ सकते कि मैंने क्या नाश्ता किया। लेकिन वे यह पूछ सकते हैं कि नाश्ते के लिए कितनी राशि खर्च की गई।