कोरोना वैक्सीन : एक भारतीय स्वदेशी वैक्सिन सहित 11 का मानव परीक्षण चल रहा है
डेस्क: कोरोना वायरस के वैक्सीन या टीके को लेकर दुनियाभर में 140 अध्ययन चल रहे हैं, जिनमें से अब तक 11 अध्ययन मानव परीक्षण तक पहुंचे हैं. मालूम हो कि इनमें से एक भारत की स्वदेशी कोवैक्सिन भी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, वैक्सीन की खोज करने में कामयाबी किसी भी देश को मिले, लेकिन बगैर भारत के इसे दुनियाभर में उपलब्ध नहीं कराया जा सकता, क्योंकि पिछले कई वर्षों में वैक्सीन पर भारत का योगदान काफी है. यूनिसेफ को 60 फीसदी तक वैक्सीन उपलब्ध कराने वाला भारत नया टीका खोजने में कामयाब भी हो सकती है.
विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टीवी वैंकटेश्वरन ने बताया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट का अध्ययन सबसे आगे चल रहा है. यह खोज एस्ट्राजेनेका ब्रिटिश कंपनी के साथ मिलकर की जा रही है.
ब्रिटिश कंपनी से पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने उत्पादन से जुड़ा करार भी किया हुआ है. वाशिंगटन स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान भी अध्ययन कर रहा है। भारत की कंपनियों ने उत्पादन के कई करार किए हुए हैं. डॉ. वैंकटेश्वरन बताया, भारत की छह कंपनियां वैक्सीन की खोज में जुटी हैं, जिनमें से दो को मानव परीक्षण के फेज एक व दो की अनुमति मिल चुकी है
दुनिया के अधिकांश अध्ययनों में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, उन्हें पूरी उम्मीद है कि भारत वैक्सीन बनाने में कामयाब होगा. दुनिया के ज्यादातर अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिक योगदान दे रहे हैं.
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की एक बिलियन डोज का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट में ही किया जाना है.
फिलहाल यह ब्रिटिश अध्ययन फेज 3 के अंतिम चरण में है. इसके बाद एक बड़ी आबादी पर वैक्सीन परीक्षण काम शुरू होगा, जिसके लिए निर्माण कार्य उनके यहां शुरू होने वाला है. यह परीक्षण अगले कुछ महीनों में भारत के चुनींदा शहरों में भी हो सकता है। एक बिलियन वैक्सीन की डोज भारत और आसपास के देशों के लिए रहेगी.