Corona Virus से लड़ने के लिए रास्ता दिखा सकता है भारत – WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक माइकल रयान ने कहा कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत के पास कोरोना से निपटने की व्यापक क्षमता है
डेस्क: विश्व इतिहास में यह एक नई घटना थी, जब हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मलेरिया और पोलियो जैसी खतरनाक बीमारियों को खत्म करने के लिए भारत की प्रशंसा की और भरोसा जताया कि अपनी सुनियोजित तैयारियों के जरिये भारत कोरोना के उस तीसरे चरण को अपने यहां टालने में सक्षम होगा। जिस दौरान वायरस कम्युनिटी स्तर पर फैल जाता है, और जिससे विकसित देशों तक को भारी नुकसान हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक माइकल रयान ने कहा कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत के पास कोरोना से निपटने की व्यापक क्षमता है, क्योंकि इसके पास चेचक और पोलियो को खत्म करने का अनुभव है। भारत की क्षमता उस कोरोना को खत्म करने में मददगार होगी, जिससे दुनिया भर में 24,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और पांच लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। रयान का कहना था कि सरकारी स्तर पर हस्तक्षेप कर भारत ने चेचक और पोलियो को खत्म कर दुनिया को बड़ा उपहार दिया है। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व कर भारत दुनिया को दिखाए कि क्या किया जा सकता है।
विदेश नीति के विशेषज्ञों का मानना है कि इन टिप्पणियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मजबूत की है, ऐसे में 21 दिन के लॉकडाउन को हर हाल में सफल बनाना चाहिए, ताकि उस असाधारण संकट से, जिसने बड़े देशों तक का आत्मविश्वास डिगा दिया है, निपटने में हमारी क्षमता के प्रति दुनिया का भरोसा बढ़े। कोरोना वायरस ने अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे अग्रणी देशों को बैकफुट पर ला दिया है। इन देशों में कोरोना ने हजारों लोगों की जान ली है। वे मजबूर हैं और उन्हें कोई समाधान नहीं दिख रहा।
कोरोना वायरस का शुरुआती हमला पिछले दिसंबर में चीन के वुहान में हुआ था, जिसमें हजारों लोग मारे गए, जिन्हें इस वायरस के बारे में कुछ भी पता नहीं था। बाद में इस वायरस ने चुपचाप दूसरे देशों में फैलना शुरू किया। चीन ने अपने खुफिया कम्युनिस्ट तरीके से इस वायरस से निपटने की रणनीति तैयार की और लॉकडाउन के जरिये वुहान को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया, ताकि वायरस दूसरे शहरों में न फैले। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चीन की सरकार के पास लोगों को घरों के अंदर रहने का निर्देश देने के अलावा कोरोना का कोई विशेष इलाज नहीं था। लोगों को अलग-थलग करने और एक दूसरे के संपर्क में न आने देने से वायरस की मारक क्षमता घट गई।
चीन ने वायरस को दूसरे शहरों में फैलने से रोककर पूरी दुनिया में अपनी क्षमता का परिचय दिया और अमेरिका तथा ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया, जो संकट के समय अपने नागरिकों के भरोसे पर तो खरे नहीं ही उतर पाए, उन देशों के भरोसे पर भी खरे नहीं उतर पाए, जो आतंकवाद और तानाशाही आदि के खिलाफ इन्हीं अग्रणी देशों की ओर उम्मीद के साथ देखते थे। इटली, स्पेन, अमेरिका आदि देशों में मौत के बढ़ते आंकड़ों ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है, जबकि चीन ने वायरस के संक्रमण को देश के दूसरे हिस्सों में फैलने से जिस तरह रोका, उसकी दुनिया के देशों ने तारीफ की है। जबकि सबसे अधिक आश्चर्य तब हुआ, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के रवैये की आलोचना करते हुए दोटूक कहा कि कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों का सबसे बड़ा केंद्र अमेरिका हो सकता है।
1.30 अरब की आबादी वाला भारत कोरोना वायरस के तीसरे चरण के फैलाव को रोकने में अभी तक सफल रहा है। भारत में इस वायरस से लगभग 20 मौतें हुई हैं, जबकि संक्रमित लोगों की संख्या 700 पार कर गई है, और करीब 70 मरीज ठीक हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सप्ताह में दो बार देश को संबोधित किया, और सार्क देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की, जिसे पूरी दुनिया ने सराहा है। इस प्रक्रिया में मोदी ने बेहद चतुराई से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया, जिसने इस संकट के समय में वायरस को फैलने से रोकने के लिए आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता दिखाने के बजाय मूखर्तापूर्ण ढंग से कश्मीर का मुद्दा उठाया।
पाकिस्तान की क्षुद्र राजनीति की दुनिया भर में आलोचना हुई, जबकि भारत की इसलिए तारीफ की गई, क्योंकि इसने कोरोना के खिलाफ सार्क देशों को एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित किया। मोदी ने जी-20 देशों की विशेष वर्चुअल बैठक में सदस्य देशों को अर्थव्यवस्था पर मानवता को तरजीह देने के लिए जिस तरह कहा, उसने भी भारत की छवि मजबूत की है। कुल 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से पूरा सहयोग मांगा है। फॉर्मूला भी सीधा है। कोरोना यानी कोई रोड पर नहीं। इस दौरान अफवाहों से दूर रहकर और दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करके ही हम खतरे को कम कर सकते हैं। संयम की लक्ष्मणरेखा को पार करना आत्मघाती हो सकता है। इस दौरान आवश्यक वस्तुओं की अबाधित आपूर्ति भी जरूरी है।
डॉ. बीसी राय पुरस्कार प्राप्त डॉ. अशोक पनगढ़िया के अनुसार, तीन घटनाएं साबित करती हैं कि भारत इस वायरस को सामुदायिक स्तर पर फैलने से रोक सकता है। पहली, हमारी सरकार उस वक्त अपने 400 से अधिक नागरिकों को वुहान से एयरलिफ्ट कर यहां ले आई, जब वहां यह महामारी अपने चरम पर थी। उनमें से एक भी भारतीय पॉजिटिव नहीं पाया गया। दूसरी, इटली के 18 नागरिक राजस्थान आए थे, जो अनेक जगहों पर गए और करीब 150 लोगों के संपर्क में आए। लेकिन ड्राइवर को छोड़कर कोई भी वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया।
तीसरी, 200 भारतीय नागरिकों को ईरान से लाकर जैसलमेर में चौदह दिनों तक अलग-थलग करके रखा गया। जांच में उनमें से भी कोई पॉजिटिव नहीं पाया गया। डॉ. पनगढ़िया का कहना है कि भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता तुलनात्मक रूप से चूंकि अधिक है, इसीलिए यह उम्मीद की जा रही है कि देश में इस वायरस के सामुदायिक स्तर पर प्रसार को रोक पाने की कोशिश सफल होगी।