जो भी हुआ उस पर शर्म भी है और गर्व भी: योगेंद्र यादव
26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर परेड निकाला जाना था. किसान नेता योगेंद्र यादव की तरफ से यह बयान भी सामने आया था कि यह परेड शांतिपूर्वक होगा. इसमें किसी प्रकार के विवादित भाषण नहीं दिए जाएंगे.
यह परेड गणतंत्र दिवस के दिन इसलिए किया जाना था क्योंकि योगेंद्र यादव के अनुसार यह परेड गण के तंत्र को उजागर करने के लिए किया जा रहा था. लेकिन देखते ही देखते यह रैली हिंसा में परिणत हो गई. इस हिंसा के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हुए. सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है ट्रैक्टर परेड के बारे में बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि जो हुआ उस पर मुझे शर्म भी है और गर्व भी है.
उनके अनुसार गर्व की बात यह है कि पहली बार इतना बड़ा ऐतिहासिक आंदोलन हुआ जिसमें इतनी संख्या में किसान सम्मिलित हुए थे. उनका कहना है कि अधिकतर किसानों ने अनुशासित परेड की. शर्म की बात यह है कि कुछ बदमाश तत्वों के चलते पूरे आंदोलन पर दाग लग गया. उनके अनुसार बैरिकेड को तोड़ना पुलिस पर हमले करना आदि बहुत दुखद घटनाएं थी.
साथ में उन्होंने यह भी कहा कि लाल किले में तिरंगा के अलावा कोई और झंडा लगाना किसी भी भारतीय के लिए शर्म की बात है. इन शरारती तत्वों से संयुक्त किसान मोर्चा का कोई लेना देना नहीं है. उनके अनुसार किसान ट्रैक्टर परेड में कई कमियां थी जिन्हें दूर करने में सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि हमें इस बात का अनुमान नहीं था कि इतनी भारी मात्रा में जब किसान इकट्ठा होंगे तो इसी बीच कोई अन्य बाहरी आकर समस्या भी खड़ी कर सकता है.
आपको बता दें कि परेड निकालने के लिए जो NOC मिली थी उसमें कुल 36 शर्ते थी, जिन्हें किसानों को परेड के दौरान मानना था. इस पर योगेंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने ज्यादातर शर्ते पूरी की है. उनके अनुसार पुलिस ने ट्रैक्टर्स की संख्या पर लिमिट लगाते हुए केवल 5,000 ट्रैक्टर को ही रैली में शामिल करने की अनुमति दी थी जिसे हमने माना. लेकिन शरारती तत्वों ने ही सारी शर्तें थोड़ी हैं. उन शरारती तत्वों से हमारा कोई लेना देना नहीं है.
गौरतलब है कि 26 जनवरी के दिन दिल्ली में हुए हिंसा से किसान नेता योगेंद्र यादव ने साफ-साफ अपना पल्ला झाड़ लिया है.