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जानिये : 1389 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार के बावजूद राफेल को आने में दो दिन क्यों लगे

डेस्क: फ्रांस के बंदरगाह शहर से राफेल के पांच विमान को अंबाला वायुसेना अड्डे तक पहुंचने में आखिर 48 घंटे क्यो लग गये, जबकि उसकी रफ्तार 1389 किलोमीटर प्रति घंटा बतायी जा रही है? यह सवाल लगभग सभी के मन में उत्पन्न हुए.
आइये तो आपको विस्तृत में बता दें कि आखिर इसके आने में दो दिन क्यो लग गये. आपको बता दें कि विमान फ्रांस से भारत के अंबाला में सात हजार किलोमीटर की दूरी करके दोपहर 2 बजे के करीब पहुंचे हैं.

राफेल 9500 किलोग्राम वजन उठा सकता है

राफेल विमान की अधिकतम स्पीड 1389 किमी/घंटा है. इसका वजन 24 हजार पांच सौ किलोग्राम है. यह 9500 किलोग्राम वजन उठा सकता है. यह एक बार उड़ान भरने के बाद 3700 किलोमीटर का सफर कर सकता है. यह भारतीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए काफी अहम माना जा रहा है.

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तो चलिए आपको बता दें कि ये विमान कैसे भारत पहुंचा है और आखिर इसके यहां पहुंचने में इतना वक्त क्यों लग गया. सबसे पहली बात राफेल का फ्लाइट रेडियस करीब 1000 किलोमीटर का है. इसीलिए उनके साथ फ्रांसीसी फ्यूल टैंकर भी आये थे. इस फ्यूल टैंकर के सहारे ही आसमान में इन विमानों में फ्यूल खत्म होने की स्थिति में फ्यूल की लोडिंग की गयी. यानि कि रीफ्यूलिंग की गयी.

राफेल को आने में दो दिन क्यों लगे

फाइटर जेट सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरता है

अगर आप तस्वीरें देखें होंगे तो पता चल गया होगा कि कैसे इन विमानों की हवा में ही रीफ्यूलिंग की जाती है. बात यह है कि कोई भी फाइटर जेट सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरता है. उनमें फ्यूल कम होता है, क्योंकि उनकी मारक क्षमता अधिक होनी चाहिए. उन्हें अधिक दूरी पर जाकर हमला नहीं करना होता है.

इसीलिए फ्यूल की बर्बादी न हो इसके लिए इसकी फ्यूल क्षमता कम होती है और यह ज्यादा दूरी तय नहीं करते. इसीलिए फ्रांस से भारत आने के दौरान कई बार इसकी स्पीड धीमी की गयी. इन्हें यूएई के अल-दफ्रा बेस पर हॉल्ट किया था. हालांकि हॉल्ट के दौरान और इसे लाने के दौरान सुरक्षा के काफी कड़े इंतजाम थे.

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