ममता बनर्जी को देना पड़ सकता है इस्तीफा?
डेस्क: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के भारी मतों से जीत हासिल करने के बाद भी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी अपने नंदीग्राम सीट से अपने प्रतिद्वंदी शुभेंदु अधिकारी से हार गई थी। लेकिन फिर भी उन्होंने मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया। इसी के साथ वह लगातार तीसरी बार सत्ता में आई और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी।
उस वक्त उनके पास किसी सीट में उपचुनाव करवाकर जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 6 महीने का समय था। लेकिन अब तक 4 महीने बीत चुके हैं और अब उनके पास मात्र 2 महीने ही बचे हैं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या वह मुख्यमंत्री बनी रह पाएंगे या उन्हें इस्तीफा देना होगा?
ममता बनर्जी को छोड़ना होगा मुख्यमंत्री पद?
बता दे की शपथ लेने के 6 महीने के भीतर उन्हें चुनाव जीतना होगा तभी वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रह सकती हैं। लेकिन राज्य में इस वक्त उपचुनाव के कोई भी आसार नहीं दिख रहे हैं। यदि 2 महीने के भीतर उपचुनाव नहीं हुआ तो ममता बनर्जी को इस्तीफा देना पड़ सकता है। ऐसे में सभी के मन में अब सवाल उठ रहा है कि क्या ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा?
पार्टी कर रही उपचुनाव की मांग
पार्टी के कार्यकर्ता लगातार उपचुनाव का मांग कर रहे हैं। इसके लिए लगातार व चुनाव आयोग पर दबाव भी बना रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग इस दबाव के आगे झुक नहीं रहा है। बता दें कि टीएमसी के पांच सांसद बीते दिन दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंचे थे। वहां पहुंचकर उन्होंने चुनाव आयोग से उपचुनाव कराने की अपील की। लेकिन चुनाव आयोग के ना मानने पर टीएमसी के सांसदों ने कहा, “चुनाव आयोग का काम वोट कराना है ना की बाधित करना।”
टीएमसी सांसद ने आयोग को भेजा रिपोर्ट
टीएमसी सांसद स्वागत राय के अनुसार बंगाल में पूर्ण संक्रमण में काफी कमी आई है। इसलिए अब यहां दो चरणों में मतदान कराया जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने सात केंद्रों के कोविड आंकड़े भी चुनाव आयोग को भेजा है और जल्द से जल्द चुनाव करवाने का अपील किया है। लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।
उपचुनाव के अलावा भी है एक रास्ता
यदि 2 महीने के अंदर उपचुनाव नहीं कराए गए तो ममता बनर्जी के पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए एकमात्र रास्ता बचा रह जाएगा जो है विधान परिषद। एकमात्र विधान परिषद का सदस्य बनकर ही वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रह सकती है। इसके लिए उन्होंने विधान परिषद के गठन से संबंधित बिल लोकसभा में पेश किया है। लेकिन इसे भी मान्यता मिलने की संभावना काफी कम दिख रही है। ऐसे में देखना है कि ममता बनर्जी 2 महीने बाद क्या करती है।