राजनीति

MP, राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में हो सकती है कांग्रेस में बगावत

डेस्क: कांग्रेस के युवा तुर्क कहे जाने वाले सचिन पायलट को कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया. उनके समर्थक मंत्रियों को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया. सचिन पायलट क्या रास्ता अपनाएगें, यह वक्त बताएगा. पर इसने साबित कर दिया है कि कांग्रेस में सब ठीक नहीं है.

मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद भी कांग्रेस अपनी गलतियों को दोहरा रही. पहले मध्य प्रदेश और अब राजस्थान में जो कुछ हुआ है, कांग्रेस ने इससे सबक नहीं सीखा तो यह देर सबेर छत्तीसगढ़ में भी हो सकता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है.

ज्ञात हो कि टीएस सिंहदेव भी लगातार मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जता रहे है.

पंजाब में भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पुराना झगड़ा है. मुख्यमंत्री से नाराज सिद्धू इन दिनों अपने क्षेत्र तक सीमित हैं. सिद्धू का यह हाल उस वक्त है, जब पार्टी का हर नेता और कार्यकर्ता जानता है कि नवजोत सिद्धू कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की पसंद हैं. इसके बावजूद वह अलग-थलग हैं.

पार्टी में ऐसे युवा नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो वरिष्ठ नेताओं की वजह से कांग्रेस छोड़ने को मजबूर हुए हैं.

मध्यप्रदेश में वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, बिहार में अशोक चौधरी, झारखंड में ड़ॉ अजय कुमार, गुजरात में अल्पेश ठाकोर और हरियाणा में अशोक तंवर को मजबूरन दूसरा रास्ता तलाश करना पड़ा है. कई प्रदेशों में युवा कांग्रेस को छोड़ अन्य दलों में चले गए हैं।.

कांग्रेस की युवा वर्ग के नेताओं की माने तो कांग्रेस अपनी गलतियों से सबक नहीं सीख रही है. मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस ने ठीक उन्हीं गलतियों को दोहराते हुए राजस्थान में भी सरकार को दांव पर लगा दिया है.
आम लोगों में यह संदेश जा रहा है कि कांग्रेस में युवा नेताओं को भविष्य नहीं है. इसलिए, पार्टी छोड़ रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी नेताओं को एकजुट क्यों नहीं रख पाती.

कांग्रेस के ही नेता मानते हैं कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ संवादहीनता व निर्णयों में देरी बड़ी वजह है, जबकि उसका मुकाबला आक्रामक राजनीतिक प्रतिद्वंदी से है. ऐसे में कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी होगी. यह महज इत्तेफाक नहीं है कि कांग्रेस के जिन युवा नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़ा है, उनमें से अधिकतर नेता भाजपा में शामिल हुए हैं.

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