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पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना के आदेश पर लगा दी रोक

डेस्क: पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे जातिगत जनगणना पर रोक लगाने का आदेश दिया। कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पहले से ही एकत्र किए गए डेटा सुरक्षित रहें और अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ साझा न किए जाएं।

इसके साथ ही अदालत ने राज्य विधानसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ सर्वेक्षण से डेटा साझा करने की सरकार की मंशा पर चिंता व्यक्त किया। इसके अलावा पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 7 जुलाई को तय की है।

पहले ठुकराया अनुरोध, अब सुनाया फैसला

ज्ञात हो कि बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर 7 से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और 15 मई तक जारी रहने वाला था।

उच्च न्यायालय के समक्ष यह याचिकाएं एक सामाजिक संगठन और कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थीं, जिन्होंने पिछले महीने सर्वेक्षण पर रोक लगाने के अपने अनुरोध को ठुकराए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

शीर्ष अदालत ने भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, और उन्हें निर्देश के साथ उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया कि उनकी याचिका पर शीघ्र निर्णय लिया जाए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य जाति की जनगणना नहीं कर रहा है बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि सरकार द्वारा उनकी बेहतर सेवा के लिए विशिष्ट कदम उठाए जा सकें।

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