भारत छोड़ो आंदोलन कब और कैसे हुआ था? क्या हुआ अगस्त क्रांति के दौरान?
डेस्क: लगभग 200 वर्षों के अंग्रेजी शासन के बाद 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। हालांकि यह आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली। इसके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लगभग 100 सालों के संघर्ष के बाद ही भारत को अंग्रेजी शासन से छुटकारा मिल सका।
1857 से हुई थी स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत
इतिहासकारों की मानें तो अधिकारिक तौर पर स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 की क्रांति के साथ हुई थी। इसे “सिपाही विद्रोह” के नाम से भी जाना जाता है। इस क्रांति की वजह कारतूसों में गाय व सुअर के चमड़े का प्रयोग बताया जाता है। इस विद्रोह के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को चिंगारी मिली और धीरे-धीरे अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनता में आक्रोश बढ़ता चला गया।
गांधीजी ने अंग्रेजो के खिलाफ चलाए कई आंदोलन
भारत को आजादी दिलाने का श्रेय गांधीजी को दिया जाता है। माना जाता है कि अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए गांधीजी ने भारत को आजादी दिलाई। इसके लिए गांधीजी को कई बार आंदोलन करने पड़े। जिनमें सबसे प्रमुख खिलाफत आंदोलन (1919-1924), असहयोग आंदोलन (1920-1922), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) है।
1942 का भारत छोड़ो आंदोलन क्यों है प्रमुख?
इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन का काफी बड़ा हाथ रहा है। इस दौरान गांधीजी ने काफी लोकप्रिय “करो या मरो” का नारा दिया था। इस नारे की बदौलत ही देश की जनता के मन में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा हुआ।
अंग्रेजों ने की आंदोलन को दबाने की नाकाम कोशिश
गांधीजी के नारे का असर लोगों पर ऐसा हुआ कि वह आजादी प्राप्त करने के लिए जान तक देने के लिए तैयार हो गए। हर भारतीय के जुबान पर यह नारा छा गया था। इस आंदोलन को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने काफी कोशिशें की उन्होंने भारतीय कांग्रेस के नेताओं को बिना किसी मुकदमे के गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर आंदोलनकारियों को जेल में डाल दिया और सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शनकारियों को कोड़े भी लगाए गए। यहां तक कि प्रदर्शनकारियों के भीड़ पर गोलियां भी चलाई गई। फिर भी यह आंदोलन नहीं रुका।
भारत छोड़ो आंदोलन की वजह से मिली आजादी
1942 के इस आंदोलन से भारत को आजादी तो नहीं मिली लेकिन 1947 में मिली आजादी में इस आंदोलन की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार पर लगातार बढ़ते दबाव के बाद आखिरकार 1947 में भारत को आजाद करने का फैसला ब्रिटिश सरकार ने लिया।