बिहार

दरभंगा के लाल किला के प्राचीर पर लहराया तिरंगा

गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट यूनियन के युवाओं ने 62 फीट की ऊंचाई पर दरभंगा के लाल किला पर लहराया तिरंगा

डिजिटल डेस्क: दरभंगा के लाल किला पर स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर 57 वर्षों के बाद दूसरी बार तिरंगा झंडा फहराया गया। ज्ञात हो कि 1962 ईस्वी में दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह ने झंडोत्तोलन किया था और उसके बाद से या किला हर वर्ष झंडा से उपेक्षित रह जाता था लेकिन पिछले वर्ष गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट यूनियन के युवाओं ने दरभंगा के ऐतिहासिक किला पर परेशानियों की बाधा को पार करते हुए भारतीय ध्वज को दरभंगा के सबसे ऊंचे किले पर 62 फ़ीट की ऊँचाई पर सुसज्जित किया था।

गौरवशाली दरभंगा के सदस्य मनीष राज ने किले पर लगातार तीसरी बार झंडोत्तोलन किया। उन्होंने बताया कि दरभंगा का राज किला मुगल और ब्रिटिश स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है लेकिन हम अपने इस बेजोड़ नमूने की खूबसूरती को नजरअंदाज करते आ रहे हैं, पिछले वर्ष से हम चोरी छुपे इसके लिए अपनी जान जोखिम में डालकर चढ़ते हैं और तिरंगा फहराते हैं। जहां तिरंगा फहराकर गर्व महसूस करते हैं, वही किले के ऊपर में पड़ी दरारें किसी विशालकाय अप्रिय घटना के रूप में हमें डराने लगती है।

मिथिला स्टूडेंट यूनियन के रिव्यु कमिटी के सदस्य गोपाल चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष से गौरवशाली दरभंगा और एमएसयू के युवा अपने धरोहर के प्रति सजगता दिखाते हुए दरभंगा के सिंह द्वार को अपनी जान जोखिम में डाल कर गुलज़ार रखने का काम कर रहे हैं। इस साहसिक कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु दरभंगा के आमजन को आगे आना चाहिए। साथ उन्होंने जिला प्रशासन और वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि इसी प्रकार सरकार और प्रशासन सोती रही तो हम आगे धरोहर को बचाने के लिए जन आंदोलन करेंगे।

इस गौरव के क्षण को जीने, किला के ऊपर चढ़ाई करने और भारतीय ध्वज का ध्वजारोहण करने का गौरव प्राप्त करने में गौरवशाली दरभंगा टीम के अविनाश कुमार, मनीष राज और अनूप कुमार थे तथा एमएसयू के अभिषेक कुमार झा और ऋषि कुमार थे।

कार्यक्रम संचालन कर रहे संतोष चौधरी ने कहा कि आज मिथिला के लोग ही मिथिला के धरोहरों के दुश्मन बने बैठे है। यह दुर्भाग्य है कि जिस किला की झलक फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे से मिलती हो वह संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व के अंतिम झलक के रूप में खड़ा होकर मिथिला के लोगों को धिक्कार रहा हो।

दरभंगा के धरोहरों के प्रति लगाव रखने वाले गौरवशाली दरभंगा टीम के राहुल कुमार ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए लोगों का ध्यानाकृष्ट करते हुए कहा कि हम आज दूर दिल्ली में अवस्थित किला पर झंडोत्तोलन को देखने के लिए अपने घर में टीवी से चिपके रहते है लेकिन अपने शहर में दिल्ली के लाल किला से अधिक ऊँचाई रखने वाले किला पर झंडोत्तोलन में सरीक नही होते है जिस कारण दरभंगा किला पर झंडा फहराने में 57 वर्षों का सफ़र तय करना पड़ा।

इस अवसर पर स्थानीय लोगों में खुशी व्य्याप्त है और उन्होंने आगे भी वृहत स्तर पर कार्यक्रम को करने के लिए टीम का साथ देने की प्रतिबद्धता को दोहराया। इस कार्यक्रम को अंजाम देने में दोनों टीमों के दर्जनों युवा मौजूद थे।

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