कोरोना पर WHO का यु-टर्न, अब बतायी चीन की सचाई
डेस्क: कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों की आलोचना झेल रहा. डब्लूएचओ अब नई परेशानी में घिरता नजर आ रहा है. मालूम हो कि डब्लूएचओ की तरफ से पहले कहा गया था कि चीन ने उसे पिछले साल दिसंबर में ही कोरोना के बारे में सूचित कर दिया था, लेकिन अब उसने यू-टर्न ले लिया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को लेकर जो नई टाइमलाइन बनाई है, उसमें इसका कोई जिक्र नहीं है कि चीन ने उसे कोरोना के बारे में बताया था. WHO का यह कदम उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, और इससे पश्चिमी देशों के उस आरोप को बल मिलता है कि वैश्विक संस्था ने पारदर्शिता नहीं बरती.
खबरों के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुपचुप तरीके से उन घटनाओं के क्रम को बदल दिया है, जिसके चलते पूरी दुनिया को कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा. लगभग छह महीने पहले डब्ल्यूएचओ ने दावा किया था चीन ने 31 दिसंबर, 2019 को उसे कोरोना वायरस के बारे में सूचित किया था. उसकी तरफ से कहा गया था कि वुहान नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग ने वुहान में निमोनिया के मामलों की रिपोर्ट की और अंत में कोरोनावायरस की पहचान की गई.
WHO ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इस वायरस की पहचान 31 दिसंबर को हुई थी और चीन ने उसे इस बारे में सूचित किया था. अपडेट की गई टाइम लाइन में तारीख वही है, लेकिन WHO अपनी बातों से पलट गया है.
अब उसका कहना है कि चीन में WHO के कंट्री ऑफिस को मीडिया में वुहान नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग के हवाले से आई खबरों से ‘वायरल नियोनिया’ के बारे में पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़ी चालाकी से कोरोना वायरस की पहचान की बात को टाइम लाइन से हटा दिया है. सीधे शब्दों में कहें तो अब उसका यह कहना है कि चीन ने 31 दिसंबर को वायरस के बारे में कोई सूचना नहीं दी.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि उसने ‘चीनी अधिकारियों से वुहान में रिपोर्ट किए गए क्लस्टर पर जानकारी का अनुरोध किया है. इतना ही नहीं, पिछली टाइमलाइन में इसका कोई जिक्र नहीं था कि WHO को चीन से तीन जनवरी को कोई जानकारी प्राप्त हुई, मगर अब कहा गया है कि 3 जनवरी 2020 को चीनी अधिकारियों ने वुहान में अज्ञात कारणों से वायरल निमोनिया के बारे में डब्ल्यूएचओ को जानकारी प्रदान थी.
कोरोना से निपटने को लेकर WHO प्रमुख सार्वजनिक रूप से चीन की प्रशंसा करते रहे हैं. उन्होंने महामारी का राजनीतिकरण न करने का आग्रह भी किया, और अब वे कह रहे हैं कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में कोई जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराई. टाइमलाइन में किये गए इन बदलावों ने न केवल चीन के असली चेहरे को उजागर किया है, बल्कि डब्ल्यूएचओ की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.