कैसे पीएम को लिखी एक चिट्ठी के कारण नए संसद भवन तक पहुंचा ‘सेंगोल’!
डेस्क: जब प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मा सुब्रह्मण्यम ने 2021 में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा, जिसमें सेंगोल पर एक तमिल लेख का अनुवाद किया गया था, तब उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके लिखे गए पत्र के कारण भारत के राजदंडन सेंगोल को संसद भवन में स्पीकर के बगल में स्थान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने के 2 साल बाद अब जब इलाहाबाद के एक संग्रहालय से सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाने वाला है, तो पद्मा सुब्रमण्यम को यह सब एक सपना सा लग रहा है
इंडिया टुडे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने इस बारे में विस्तार से बात करते हुए बताया कि तमिल संस्कृति के लिए सेंगोल का क्या महत्व है। उन्होंने बताया कि दो वर्ष पहले सेंगोल के बारे में तुगलक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख से वह बहुत आकर्षित हुईं।
सेंगोल : शक्ति और न्याय का प्रतीक
उनके अनुसार तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत अधिक महत्व है। छाता, सेंगोल और सिंहासन तीन ऐसी वस्तुएं हैं जो वास्तव में राजा की शासन शक्ति की अवधारणा को प्रदर्शित करती हैं। सेंगोल यह सिर्फ 1,000 साल पहले की कोई ऐतिहासिक वस्तु नहीं बल्कि शक्ति और न्याय का प्रतीक है।
उन्होंने आगे बताया “पत्रिका के लेख में कहा गया था कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जो सेंगोल भेंट किया गया था वह पंडित जी की जन्मस्थली आनंद भवन में रखा गया था। यह वहां कैसे गया और नेहरू और सेंगोल के बीच क्या संबंध थे, यह भी बहुत दिलचस्प है।”
उन्होंने संक्षेप में बताया कि 1947 में अंग्रेजों से भारत में सत्ता हस्तांतरण के दौरान सेंगोल को कैसे और क्यों तैयार किया गया था। 1947 में जब अंग्रेजों ने भारतीयों को सत्ता हस्तांतरित की तो इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक सेंगोल (राजदंड) सौंपा गया था।
1947 में सी राजगोपालाचारी के अनुरोध पर तमिलनाडु में तिरुवदुथुराई अधीनम द्वारा 5 फीट लंबे सेंगोल को तैयार किया गया था। यह चांदी का बना था जिसमें सोने की परत चढ़ाई गयी थी।
सत्ता के हस्तांतरण के लिए हुआ था सेंगोल का प्रयोग
अधीनम मठ के पुजारी श्रीला श्री कुमारस्वामी थम्बिरन को सेंगोल के साथ दिल्ली जाने और समारोह आयोजित करने का काम सौंपा गया था। एक विशेष प्लेन से दिल्ली जाकर उन्होंने सेंगोल को लॉर्ड माउंटबेटन को सौंप दिया, जिन्होंने इसे वापस थम्बिरन को सौंप दिया। इसके बाद उस पर पवित्र जल छिड़क कर सेंगोल को शुद्ध किया गया। इसके बाद सत्ता के हस्तांतरण का समारोह आयोजित करने और सेंगोल को नए शासक पंडित नेहरू को सौंपने के लिए इसे उनके आवास पर ले जाया गया।
सेंगोल के इतिहास के बारे में बताते हुए उन्होंने 2021 में प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी जिसके बाद अब जो कुछ भी होने जा रहा है इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। उनके अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान एक बार फिर से पहले की तरह देश के शासक को सेंगोल सौंपे जाने का दृश्य देखने लायक होगा।
पद्मा सुब्रमण्यम के अनुसार संसद भवन में स्थापित सेंगोल हमारे सांसदों को देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि नए संसद भवन में सेंगोल को “भारत के गौरव” के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।