ज्ञानवापी मामले में इस वकील बाप-बेटे कि जोड़ी के कारण मुस्लिम पक्ष की बढ़ी परेशानी
डेस्क: ज्ञानवापी परिसर में एएसआई के सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 27 जुलाई को सुनवाई के दौरान अगली सुनवाई तक ASI के सर्वे पर रोक लगाकर रखा था जिसे अब हटा दिया गया है।
3 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे की आज्ञा दे दी है। ज्ञात हो कि इससे पहले वाराणसी के जिला कोर्ट ने भी एसआई को सर्वे की अनुमति दे दी थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया कमेटी द्वारा जिला कोर्ट के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट ने बरकरार रखा जिला कोर्ट का फैसला
जिला कोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने भी कई सुनवाइयों के बाद एसआई को ज्ञानवापी परिसर के पुरातत्विक जांच के आदेश दे दिए हैं। पहले ऐसा ही को 4 अगस्त तक जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था लेकिन मुस्लिम पक्ष द्वारा जांच के विरोध में याचिका दर्ज करने के बाद उस पर रोक लगा दी गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए जिला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू किया है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार इलाहबाद हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से ज्ञानवापी परिसर के ASI जांच के आदेश दे दिए हैं।
कौन हैं ये बाप-बेटे कि जोड़ी?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन ने साल 1976 में वकालत शुरू की थी। उनका नाम 1993 में तब चर्चा में आया जब उन्हें कोर्ट से बाबरी मस्जिद के दरवाजे हिंदुओं के लिए खोलने का आदेश मिला।
हरि शंकर जैन ने 2001 में सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव भी लड़ा था। जब हरि शंकर जैन के बेटे विष्णु शंकर जैन बड़े हुए और उन्होंने 2010 में अपनी वकालत पूरी की, तो उन्होंने अपने पिता की मदद करना शुरू कर दिया।
वकील हरिशंकर जैन ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व किया था। वह हिंदू/जैन देवताओं से जुड़े कम से कम 12 मामलों में वकील रह चुके हैं।
हिंदुओं कि ओर से कई विवादित मामले में लड़ रहे हैं दोनों
ज्ञात हो कि ज्ञानवापी के अलावा भी 110 ऐसे विवादित मामले हैं जिनमें हिंदुओं की ओर से हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन लड़ रहे हैं। इसमें मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामला, कुतुब मीनार परिसर विवाद, ताज महल को शिव मंदिर के रूप में दावा करने सहित कई अन्य मामले शामिल हैं।
विष्णु शंकर जैन हिंदू जस्टिस फ्रंट के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए अपनी वकालत शुरू की। इस मामले में उन्होंने अपने पिता हरि शंकर जैन की मदद की।
2016 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकील के पद के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की और 2016 में अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज कराई। ऐसे 102 मामले हैं जिनमें पिता-पुत्र में से एक या दोनों ने हिंदुओं का पक्ष लिया। इनमे सबसे पुराना मामला 1990 का है।