चीनी महामारी कोरोना पर सामने आई एक और सच्चाई, 8 साल पुराने राज से यूं उठा पर्दा
डेस्कः अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. इन वैज्ञानिकों की मानें तो ये संक्रमण करीब 8 साल पहले ही चीन की खदान क्षेत्रों में पाया गया था, लेकिन तब चीन ने इस पर पर्दा डाल दिया था.
वहीं, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीन के वुहान से फैले कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की ओर से जो भी बातें कही गई वे पूरी तरह से आधारहीन और झूठ है. हालांकि, कोरोना की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं.
अमेरिका सहित कुछ देशों का दावा है कि वुहान लैब में जानबूझकर इस वायरस को तैयार किया, ताकि दुनिया में वायरस के जरिए चीन तबाही मचा सके. वहीं, चीन लगातार कहता आया है कि मांस बाजार में सबसे पहले इस वायरस का पता चला था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने बिल्कुल नई तस्वीर दुनिया के सामने रखी है.
आखिर क्यों तब चीन ने दबा दी सच्चाई…
वैज्ञानिकों की मानें तो उनके हाथ कुछ ठोस सुबूत भी लगे हैं, जो उनके दावों को बल दे रहे हैं. साथ ही कोरोना संक्रमण की उत्पत्ति आठ माह पहले नहीं, बल्कि आठ साल पहले चीन के दक्षिण पश्चिम स्थित युन्नान प्रांत की मोजियांग खदान में हुई थी.
बताया गया कि 2012 में कुछ श्रमिकों को चमगादड़ का मल साफ करने के लिए खदान में भेजा गया था. इन श्रमिकों ने 14 दिन खदान में बिताए थे और फिर बाद में छह श्रमिकों की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी, जिन्हें तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, हाथ-पैर और सिर में दर्द के साथ ही गले में खराश की शिकायत थी. ये सभी लक्षण आज कोरोना से मेल खाते हैं.
थीसिस से खुली चीनी कलई
वहीं, अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि अज्ञात संक्रमण से ग्रसित छह में से तीन श्रमिक की कथित रूप से मौत हो गई थी.
बता दें कि ये सारी जानकारी चीनी चिकित्सक ली जू की मास्टर्स थीसिस का हिस्सा है. थीसिस का अंग्रेजी में डॉ. जोनाथन लाथम और डॉ. एलिसन विल्सन ने अनुवाद किया है.
यूं बढ़ा खौफ का आलम
साथ ही अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि महामारी को लेकर चीन की भूमिका उसे फिर कठघरे में खड़ा कर रहा है. इससे अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि महामारी बनने से पहले ही कोरोना चीन के रडार पर आ चुका था.
इधर, दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देशों ने कोरोना की बेहद खतरनाक किस्म की सूचना दी है. फिलीपींस के क्वेजोन शहर में G-614 पाया गया है, जो वुहान वायरस से 1.22 गुना अधिक फैलता है.
उधर, मलेशिया ने G-614g म्यूटेशन का दावा किया है. मलेशिया के विशेषज्ञों का कहना है कि यह किस्मू आम कोरोना वायरस से 10 गुना अधिक खतरनाक है.