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इस सब्जी की खेती से अब किसान होंगे मालामाल, कमा सकते हैं लाखों

डेस्क: हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। यहां कई तरह की सब्जियां, अनाज और फल उगाये जाते हैं। फिर भी कई प्रजातियों की सब्जियां और फल ऐसे हैं जो किसी स्थान के वातावरण के अनुसार स्थान विशेष पर ही उगते हैं। ऐसी ही एक सब्जी है- काले आलू, जो केवल अमेरिका में ही उगते हैं।

लेकिन बिहार के गया के टिकारी प्रखंड के गुलरियाचक गांव के किसान आशीष एक किसान ने अमेरिका से काले आलू के बीज मंगवाए थे। इसके बाद उन्होंने इसे प्रयोग के तौर पर कम जमीन में लगाया, जिससे उनकी पहली फसल निकली है। पहले प्रयास में ही उगाये गए यह काले आलू लाजवाब थे और जल्द ही इनकी डिमांड भी बढ़ गई।

आशीष ने 10 नवंबर को बीज बोए और 120 दिनों के बाद 13 मार्च को फसल काटी। सबसे पहले उन्होंने 14 किलो बीज बोए जिससे करीब 120 किलो आलू का उत्पादन हुआ। काले आलू आमतौर पर एंडीज में अमेरिकी हाइलैंड्स में उगाए जाते हैं। लेकिन एक प्रयोग के तौर पर आशीष ने इसे बिहार के गया में उगाया और इसमें उन्हें सफलता भी मिली।

Black Potato Farming in Bihar

काले आलू की बढ़ी डिमांड

काले आलू में कई औषधीय गुण होते हैं, जिसकी वजह से बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा है। बिहार व अन्य राज्यों से कई किसान काले आलू के बारे में अपनी जिज्ञासा को लेकर आशीष के पास पहुंच रहे हैं।

किसान आशीष ने अमेरिका से 1500 रुपये प्रति किलो की दर से काले आलू के बीज मंगवाए थे। बीज बोने के बाद शुरूआती दौर में इनका उत्पादन अच्छा रहा था। हालांकि इस दौरान खराब मौसम के कारण उत्पादन ठीक से नहीं हो सका। यह अनुमान लगाया गया था कि 14 किलो बीज से लगभग 2 क्विंटल (200 किलो) आलू का उत्पादन होगा।

300-500 रुपए प्रति किलो बिक रहा काला आलू

आशीष के अनुसार अगले साल वह बड़े पैमाने पर काले आलू बोएंगे ताकि अच्छी पैदावार हो। इस समय परीक्षण के तौर पर उन्होंने केवल 14 किलो आलू के बीज लगाए गए थे। जिसमें एक क्विंटल 20 किलो आलू का उत्पादन हुआ है।

Ashish black potato farmer from Bihar

किसान आशीष ने कहा कि वह 300 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से इन आलुओं को बेचेंगे। आशीष यहां की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार में अपने पड़ोस और अन्य राज्यों द्वारा किसानों को भी आलू देंगे। बता दें कि यह पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी किसानों द्वारा मांग में है।

ज्ञात हो कि काले आलू उगने में साधारण आलू की तुलना में 20 दिन अधिक समय लेते हैं। इन आलूओं को ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) द्वारा मापा जाता है, जो 0-100 के बीच होता है। यदि किसी आलू का जीआई 70 से अधिक है तो उसे उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है। एक तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि काले आलू का जीआई 77 होता है। जबकि पीले आलू का जीआई 88 और सफेद आलू का जीआई 93 होता है।

यूट्यूब से मिला काले आलू उगाने आइडिया

आशीष का कहना है कि उन्हें यूट्यूब पर अलग-अलग चीजें पढ़ना और देखना पसंद है। इसी बीच उन्होंने काले आलू की खेती की वीडियो देखी। उन्होंने कहा कि भारत में काले आलू की खेती लगभग न के बराबर है। हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर इसकी खेती की जाती है। इसके बाद उनके मन में काले आलू उगाने का विचार आया और उन्हें इसकी पूरी जानकारी हो गई।

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