डेस्क: 27-वर्षीय भारतीय रेसलर बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक्स में पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलोग्राम स्पर्धा में कज़ाकिस्तान के दौलत नियाज़बेकोव को हराकर कांस्य पदक जीता है। यह टोक्यो ओलंपिक्स में कुश्ती में भारत का दूसरा पदक है।
पुरुषों के फ्री स्टाइल 65 किलो वर्ग कुश्ती स्पर्धा का ब्रॉन्ज मेडल जीतते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने कजाखस्तान के डाउलेट नियाजबेकोव को 8-0 से एकतरफा हराया। इसके साथ ही भारत के पदकों की संख्या 6 हो गई है, जो लंदन ओलिंपिक-2012 के कराबर है। रेसलर रवि दहिया ने पुरुषों की फ्रीस्टाइल 57 किलोग्राम स्पर्धा में रजत जीतकर इस ओलंपिक्स में भारत का पहला कुश्ती पदक जीता था।
बजरंग पूनिया हुए विजयी घोषित
पहले राउंड में दोनों ही पहलवान आक्रामक दिखे। बजरंग ने हालांकि बेहद चतुराई से दो पॉइंट लेते हुए 2-0 की बढ़त बना ली। दूसरे राउंड में जब मुकाबल शुरू हुआ तो बजरंग अलग ही अंदाज में नजर आए। उन्होंने विपक्षी पहलवान बिल्कुल भी मौका नहीं दिया। पूनिया ने लगातार 2, 2, 2 पॉइंट्स लेते हुए बढ़त 8-0 की कर ली। उन्हें पॉइंट्स के आधार पर विजयी घोषित कर दिया गया।
अब नीरज चोपड़ा पर टिकी हैं निगाहें
अब निगाहें जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा पर टिकी हैं, अगर वह आज गोल्ड मेडल अपने नाम करते हैं, तो यह ओलंपिक इतिहास में एथलीट से भारत का पहला पदक होगा. नीरज ने क्वॉलीफिकेशन राउंड के पहले प्रयास में ही 86.65 मीटर के थ्रो के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई कर भारत की पदक की उम्मीदें बढ़ा दी थी। भारत ने अबतक टोक्यो ओलंपिक में दो रजत और तीन कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते हैं लेकिन उसे अबतक स्वर्ण हासिल नहीं हुआ है।
नीरज ने क्वालीफिकेशन में जिस तरह का प्रदर्शन किया और वह ग्रुप ए में पहले स्थान पर रहे थे, उसके बाद उनसे सोना लाने की संभावना बढ़ गई है। 23 वर्षीय नीरज ने ओलंपिक स्टेडियम में, ग्रुप ए क्वालीफिकेशन राउंड के अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंक 83.50 मीटर के ऑटोमेटिक क्वालीफाइंग अंक को हासिल किया था तथा फाइनल में पदक के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे।