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ऐसे अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भारत बना परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र, इसलिए मनाते हैं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

 

डेस्क: मानव सभ्यता एक दिन में विकसित नहीं हुई बल्कि इसे विकसित होने के लिए कई शताब्दी लग गए। विकसित होने के क्रम में मानव सभ्यता ने कई इतिहास रचे। भारतीय इतिहास में आज यानी 11 मई का विशेष महत्व है। आज के दिन ही भारत परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्र बना था।

1998 में अंतर्राष्ट्रीय विरोध के बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण शुरू किया गया। ‘ऑपरेशन शक्ति’ के निर्दिष्ट कोड नाम के तहत पोखरण-द्वितीय का परीक्षण 11 मई, 1998 को शुरू किया गया था। पोखरण-द्वितीय परीक्षण पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला थी। भारत ने राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में परमाणु बमों का परीक्षण किया।

भारतीय सेना के साथ मिलकर किया गया था परिक्षण

‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत, भारतीय सेना द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय (AMDER) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पांच परमाणु परीक्षण किए गए। .

Pokhran-2-nuclear-test

पोखरण में किये जाने वाले परमाणु परीक्षण के लिए प्लूटोनियम की आवश्यकता थी जिसे मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) से लाया जाना था। परीक्षण से लगभग 10 दिन पहले, भारतीय वायु सेना (IAF) के विमान AN-32 ने विमान के साथ छह लकड़ी के टोकरे के साथ मुंबई के सांताक्रूज हवाई अड्डे से उड़ान भरी। टोकरे के अंदर एक धातु की ढाल थी और उसके अंदर विस्फोटक प्लूटोनियम के गोले थे।

11 मई की दोपहर को किया गया परिक्षण

इन गोले का निर्माण मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किया गया था और प्रत्येक गोले का वजन लगभग 5kgs से 10kgs था। IAF का AN-32 2 घंटे के भीतर राजस्थान के जोधपुर पहुंच गया और वहां से रात में उन क्रेटों को पोखरण ले जाया गया। जैसे ही प्लूटोनियम के गोले पहुंचे, वैज्ञानिकों ने उन्हें ट्रिगर और विस्फोटक डेटोनेटर के साथ जोड़ना शुरू कर दिया।

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11 मई 1998 को दोपहर 3:45 बजे सभी परमाणु बमों का परीक्षण किया गया। उसके बाद, वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा परीक्षण डेटा का विश्लेषण किया गया और सफलता की पुष्टि की गयी।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की घोषणा

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में घोषित किया और कहा, “यह आधुनिक भारत के इतिहास में सबसे ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि इस दिन ही भारत ने इतिहास रचा था और राष्ट्रपति डॉ. कलाम के नेतृत्व में अपनी तकनीकी शक्ति साबित की।”

1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए हर साल 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार आधिकारिक तौर पर 11 मई, 1999 को वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों के उपलक्ष्य में मनाया गया था। यह दिन वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और इंजीनियरों को राष्ट्र में उनके तकनीकी योगदान के लिए सम्मान देता है।

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