साहित्य

अर्धनारीश्वर के कविता संग्रह ‘सूरज का सच’ का लोकार्पण सह परिचर्चा आयोजित

साहित्यक संस्था ‘साहित्यलोक’ बोकारो द्वारा हिन्दी व मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार व साहित्यलोक के पूर्व महासचिव गिरिजा नन्द झा ‘अर्धनारीश्वर’ के सद्यः प्रकाशित हिन्दी कविता संग्रह ‘सूरज का सच’ का आॅनलाइन लोकार्पण सह परिचर्चा का आयोजन गूगल मीट पर  किया गया।

साहित्यकार व सेल रिफैक्ट्री यूनिट (एसआरयू), बोकारो के महाप्रबंधक (कार्मिक एवं प्रशासन) हरि मोहन झा की अध्यक्षता व राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित बोकारो की शिक्षिका व कवयित्री डाॅ निरुपमा कुमारी के कुशल संचालन में आयोजित इस आॅनलाइन लोकार्पण सह परिचर्चा कार्यक्रम में पटना से डाॅ इन्द्र कान्त झा (पूर्व विभागाध्यक्ष मैथिली, पटना विश्वविद्यालय), मधुबनी से प्रसिद्ध साहित्यकार सह प्रकाशक अजित आजाद, नयी दिल्ली से साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव तुला नंद मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार गिरिजा नंद झा ‘अर्धनारीश्वर’, मोती देवी, अज्ञेय कुमार, अपर्णा झा, प्रान्शु झा, कोलकाता से डाॅ संतोष कुमार झा, बोकारो से वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, सतीश चंद्र झा, अरुण पाठक, नीलम झा, राजीव कंठ, डाॅ रणजीत कुमार झा, साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा, मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के महासचिव अविनाश कुमार झा, बोकारो स्टील प्लांट के प्रबंधक (मानव संसाधन विकास) राजेन्द्र कुमार, बंगलुरु से सीए कार्तिकेय कुमार झा, रजनीप्रभा झा, प्रणव कुमार, चन्द्रान्शु झा आदि शामिल हुए।

प्रारंभ में स्वागत भाषण करते हुए राजेन्द्र कुमार ने गिरिजा नंद झा ‘अर्धनारीश्वर’ के साहित्यिक, सामाजिक व शिक्षाविद् के रूप में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। डाॅ इन्द्र कान्त झा ने कहा कि साहित्यकार अर्धनारीश्वर अपने समकालीन सोच से अलग अपनी रचनाओं में वैज्ञानिक शब्दावली के लिए विशेषरूप से जाने जाते हैं। उनकी कविता ‘सूरज का सच’ प्रकृति में घटनेवाली इन्द्रधनुषी घटाओं पर आधारित न होकर प्रयोगशाला में उपयोग होनेवाले ‘प्रिज्म’ तथा ‘स्पेक्ट्रम’ के अनुभव पर आधारित है।

ख्याति प्राप्त लेखक, संपादक व नवारंभ प्रकाशन के प्रकाशक अजीत आजाद ने अर्धनारीश्वर के लेखकीय व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज कविता लेखन में दो तरह के ट्रेंड प्रचलित हैं-प्रेम व प्रतिरोध। लेकिन अर्धनारीश्वर के कविता संग्रह में अध्यात्म व विज्ञान का भी संुदर समावेश है जो इनकी विशिष्टता को दर्शाते हैं। तुला नन्द मिश्र ने कहा कि अर्धनारीश्वर प्रारंभ से ही विज्ञानपरक लेखन के लिए जाने जाते हैं। विजय शंकर मल्लिक ने कहा कि अर्धनारीश्वर की कविताएं बहुत स्तरीय हैं।

इन कविताओं में जीवन के विभिन्न रंग समाहित हैं। डाॅ सन्तोष कुमार झा ने कहा कि इनकी सभी रचनाओं में विज्ञान समाहित है अतः इन्हें विज्ञानदर्शन भी कह सकते हैं । सतीश चंद्र झा, डाॅ रंजीत कुमार झा, डाॅ निरुपमा कुमारी, नीलम झा ने भी अपने विचार रखे। कवि अर्धनारीश्वर ने कहा कि इस कविता संग्रह की सभी कविताएं उन्होंने कर्मक्षेत्र बोकारो में ही लिखी हैं। उनकी आत्मा बोकारो में है। इस कविता संग्रह के बारे में साहित्यकारों द्वारा इस परिचर्चा में व्यक्त विचारों ने उनमें नई ऊर्जा का संचार किया है और वे आजीवन रचनाशीलता से जुड़े रहेंगे।

अध्यक्षीय वक्तव्य में हरिमोहन झा ने अर्धनारीश्वर को विशिष्ट रचनाकार बताते हुए कहा कि इन्होंने अपनी रचनाओं में जिस तरह से जीवन व समाज के विभिन्न पक्षों को वैज्ञानिक कसौटी पर रखते हुए चित्रित किया है वह अद्भुत है। धन्यवाद ज्ञापन कवि व गायक अरुण पाठक ने किया।

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