अभिव्यक्तिसाहित्य

गणपति के रूप अनेक, नाम अनेक

"गौरी सूत" तब कहाए ,"पीताम्बर" छवि पूजी जाए

कवियत्री - अनु नेवटिया, Anu Newatia
कवियत्री – अनु नेवटिया

आपन काया से लियो हल्दी चन्दन,
माता पार्वती ने किन्ही सर्जन,
“गौरी सूत” तब कहाए ,”पीताम्बर” छवि पूजी जाए।
अनजाने में आये शिव शंकर,
शीश काट किया पाप भयंकर,
गज का फिर मस्तक लगाए, “गजानन” वे तब कहलाये।
विष्णु विवाह में विघ्न हुई भारी,
नाम स्मरण से कटी संकट सारी,
“विघ्नहर्ता” तब कहलाये, सर्वप्रथम पूजे जाएं।
क्रोंचा ने जब आतंक मचाया,
देवताओं को बड़ा सताया,
“अखूरथ” तब वे कहाए,
मूषक को वाहन बनाए।
चंद्र ने परिहास किया था ,
कारणवश उसे श्राप मिला था,
मुक्ति देकर चंद्रदेव को , शीश पर किया विराजमान ,
“बालचंद्र” के नाम से तब हुए वे प्रख्यात ।.
कुबेर के भोज में जब पधारे,
संपूर्ण भोजन भोग लगाए,
टुटा उसका सारा अभिमान,
“लम्बोदराय” को किया प्रणाम।
“रिद्धि-सिद्धि”, “शुभ-लाभ” के कर्ता;
“बुद्धिविधाता”, “प्रथमेश्वरा”;
सब देवो में श्रेष्ठ माने जाए,
“गणपति” वे तभी कहाए !!!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker